Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी रहती है छठ पूजा, 5वां आइटम है बेहद महत्वपूर्ण!
Chhath Puja 2024: आस्था, पवित्रता, प्रकृति पूजा और सामाजिक बंधन को मजबूत बनाने वाला महान पर्व छठ प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह 4 दिवसीय महापर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मुख्य रूप से मनाया जाता है। सूर्य देवता को समर्पित इस पूजा अनुष्ठान में कुछ चीजें कॉमन हैं, जो हर व्यक्ति की पूजा में जरूर होता है। आइए जानते हैं, छठ पूजा कब है और वे 9 चीजें कौन-सी हैं, जिनके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है?
छठ पूजा 2024 कब है?
आस्था और पवित्रता के इस महान पर्व का बिहार-यूपी के लोग पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह एक महान सामाजिक उत्सव है, जो लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधन को मजबूत करता है। बिहार, यूपी और झारखंड के लोग, चाहे दुनिया में कहीं हों, वे छठ के मौके पर घर जरूर जाते हैं। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगी, वहीं खरना 6 नवंबर, संध्या अर्घ्य 7 और सुबह सूर्य पूजा का अर्घ्य और पारण 8 नवंबर को है।
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इन 9 चीजों के बिना अधूरी है छठ पूजा
डाला और सूप: छठ पूजा की सभी सामग्रियों को डाला और सूप में रखा जाता है। ये डाला और सूप बांस के बने होते हैं। आजकल कुछ लोग धातु के बने डाला और सूप भी उपयोग में लाने लगे हैं, लेकिन बांस से बनी ये वस्तुएं श्रेष्ठ मानी गई हैं।
ठेकुआ: ठेकुआ और छठ एक-दूसरे के पर्यायवाची बन चुके हैं। आटा, गुड़, ड्राई फ्रूट्स के मिश्रण से बने घी या तेल में तले ठेकुए बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है।
वीडियो: छठ में ठेकुआ क्यों चढ़ाते है?
नारियल: कच्चा और सूखा नारियल छठ के डाला और सूप में रखना अनिवार्य होता हैं। मनौती के रूप में इसकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है।
गागर नींबू: गागर नींबू छठ की एक ख़ास पहचान है। यूपी और बिहार में इसकी खेती छठ के लिए ही की जाती है।
अरक पात: अरक पात रुई से बने गोल-गोल पत्ते होते हैं। लाग रंग के इन पत्तों के बिना छठ वाकई में अधूरी होती है। इन पत्तों को प्रत्येक सूप और डाला में रखा जाता है। इस आलता बाती भी कहते हैं और सूर्य के प्रतीक माने जाने के कारण बेहद शुभ माने गए हैं। इसके साथ ही लाल धागे से बनी बद्धी यानी माला भी प्रत्येक सूप और डाले में डाला जाता है।
गन्ना: गन्ना भी छठ पूजा की पहचान है। प्रत्येक डाला और सूप में गन्ना या ईंख के तुकडे का होना जरुरी माना गया है।
केला: केले का घौद या केले के हत्थे को डाला या सूप में रखे बिना छठ पूजा अधूरी मानी गयी है। ये संख्या में कितनी होगी, यह मनौती पर निर्भर है।
पान-सुपारी: छठ व्रत का उपवास रखने वाले यानी व्रती जब पानी में खड़े होकर सूर्य की आह्वान करते हैं, तो वे अपने हाथ में पान-सुपारी अवश्य रखते हैं।
केराव: देसी और जंगली मटर को केराव को कहते हैं। इस मटर यानी केराव को पानी में भिगोकर और फुलाकर सभी सूप और डाला में रखना एक अनिवार्य परंपरा है।
ये छठ आइटम भी हैं बेहद जरूरी
इन 9 छठ आइटम के अलावा छठ की डाला और सूप में मूली, सुथनी, शकरकंद, अल्हुआ (मीठा आलू), सिंघारा, पत्ते सहित हल्दी और अदरक की गांठे भी अनिवार्य छठ आइटम में शामिल हैं। लेकिन उपलब्ध न होने पर भी छठ पूजा संपन्न कर सकते हैं। साथ ही सभी प्रकार के फल, जैसे- सेब, नारंगी, मुसम्मी, अन्नानास, अनार आदि भी चढ़ाए जाते हैं। जहां तक मिठाइयों की बात है, छठ पूजा की तीन मिठाइयां बेहद खास मानी गई हैं, ये हैं- चीनी पाक मिठाई, खाजा और बताशा।
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