whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

Dev Uthani Ekadashi 2024: साल का सर्वश्रेष्ठ देवोत्‍थान एकादशी आज; जानें महत्‍व, व्रत के नियम और पूजा विधि

Dev Uthani Ekadashi 2024: साल के सर्वश्रेष्ठ देवोत्‍थान एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। आइए इस शुभ मौके पर जानते हैं, इस एकादशी व्रत का महत्व, व्रत के नियम और पूजा विधि क्या है?
07:49 AM Nov 12, 2024 IST | Shyam Nandan
dev uthani ekadashi 2024  साल का सर्वश्रेष्ठ देवोत्‍थान एकादशी आज  जानें महत्‍व  व्रत के नियम और पूजा विधि

Dev Uthani Ekadashi 2024: वैसे तो साल की सभी एकादशी का अपना एक महत्‍व होता है। लेकिन देवोत्‍थान एकादशी का विशेष महत्‍व है। कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। इसे देव उठनी। देवात्‍थान या प्रबोधनी एकादशी इसलिए कहा जाता है क्‍योंकि इस दिन श्री हरि विष्‍णु चार माह की चीर योग निंद्रा से जाग जाते है यानी उठ जाते हैं।

Advertisement

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्‍णु आषाढ़ शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि को चार महीने के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि को जाग जाते है और फिर से सृष्टि के संचालन में लग जाते है। जब तक श्री हरि विष्‍णु योग निद्रा में होते हैं, तो चार्तुमास होता है। उनकी अनुपस्थिति में तब देवाधिदेव भगवान शंकर सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इसी दिन से हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यो की शुरूआत हो जाती है। आइए धर्म-ज्योतिष पर अच्छी जानकारी रखने वालीं नम्रता पुरोहित द्वारा बताए गए देवोत्‍थान एकादशी का महत्‍व, व्रत के नियम और पूजा विधि जानते हैं।

देवोत्थान एकादशी तिथि की अवधि

इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर शाम 6 बजकर 46 मिनट पर होगी तिथि की समाप्ति 12 नवंबर चार बजकर चार मिनट पर होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी आज  मंगलवार 12 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है।

Advertisement

Dev Uthani Ekadashi Upay

Advertisement

एकादशी व्रत का पारण: एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर, 2024 बुधवार को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 52 मिनट की अवधि में होगा।

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि

  • सुबह उठकर सबसे पहले उठकर स्‍नान आदि से निवृत हो स्‍वच्‍छ कपड़े पहनें और भगवान विष्‍णु का ध्‍यान कर व्रत का संकल्‍प लें।
  • घर के आंगन में श्री हरि विष्‍णु के चरणों का चित्र बनाकर, उसे ढ़क दें।
  • ओखली या टोकरी में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिष्टान्न, मौसमी फल जैसे गन्‍ना को रखकर डलिया से ढ़क दें।
  • घर पर और आस-पास के मंदिरों में दीपक जलाए। भजन-कीर्तन करें, घंटा, शंख और घडियाल बजाएं और भगवान को उठाएं।

ये भी पढ़ें: Numerology: इन 3 तारीखों में जन्मे व्यक्ति जान लेते हैं लोगों के मन की बात, पैसा कमाने में भी रहते हैं आगे!

एकादशी व्रत के नियम

Dev Uthani Ekadashi 2024

1- सुबह उठकर सबसे पहले स्‍नान करें। ऐसा कहा जाता है कि देव उठनी एकादशी के दिन रात में फर्श पर नहीं सोना चाहिए।

3- ब्रहम्रचर्य का पालन करें। घर में किसी भी प्रकार का क्‍लेश न करें।

4- भोजन न करें। संभव हो तो निर्जला व्रत करें। न कर पाएं तो फलाहार करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

5- तामसिक चीजों का सेवन न करें, जैसे- लहसून, प्‍याज, मांस, मदिरा आदि।

6- किसी पेड़ की टहनी को न तोड़ें।

7- किसी भी एकादशी तिथि को चावल और नमक का सेवन भी वर्जित माना गया है।

इसलिए तुलसी के बिना अधूरा है विष्णु पूजन

देवोत्‍थान एकादशी तिथि के साथ ही तुलसी विवाह को भी जोड़ा जाता है। शास्‍त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्‍णु को शालीग्राम भी कहा जाता है। उन्‍होंने इसी रूप में तुलसी का वरण किया था, इसलिए शालिग्राम के रूप में ही श्रीहरि विष्‍णु का विवाह तुलसी से करवाया जाता है। भगवान विष्‍णु को तुलसी बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में तुलसी को अवश्‍य रखनी चाहिए, इससे उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। जो लोग तुलसी विवाह करवाते है या उनके विवाह में शामिल होते है उनको वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।

ये भी पढ़ें: Numerology: इन 3 तारीखों में जन्मे व्यक्ति जान लेते हैं लोगों के मन की बात, पैसा कमाने में भी रहते हैं आगे!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो