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May 2024 Festivals: कल अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती सहित 4 पर्व एकसाथ, जानें महत्व और मुहूर्त

May 2024 Festivals: 10 मई, 2024 को एक साथ 4 पर्व-त्योहारों के पड़ने से यह दिन खास बन गया है। ये पर्व हैं-अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती, रोहिणी व्रत और मातंगी जयंती। इनमें से हर पर्व की अपनी विशेषताएं हैं। आइए जानते हैं, इन चारों पर्वों का महत्व और पूजा मुहूर्त।
03:17 PM May 09, 2024 IST | Shyam Nandan
may 2024 festivals  कल अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती सहित 4 पर्व एकसाथ  जानें महत्व और मुहूर्त

May 2024 Festivals: हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को एक साथ चार पर्व-त्योहारों का महासंयोग बनने से यह दिन काफी खास हो गया है। यह तिथि साल 2024 में 10 मई, 2024 को पड़ रही है। इस तारीख को अक्षय तृतीया या आखा तीज, परशुराम जयंती, रोहिणी व्रत और मातंगी जयंती एक साथ मनाई जाएगी। आइए जानते हैं, इन सभी व्रत-त्योहारों का महत्व और पूजा मुहूर्त।

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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया देवी लक्ष्मी को समर्पित पर्व है। इस दिन सौभाग्य और समृद्धि के लिए सोना-चांदी खरीदने का विशेष रिवाज है। इसके अलावा इस दिन का अन्य कारणों से भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इसी तिथि को ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की शुरुआत की थी। त्रेता युग, जिसमें भगवान राम ने जन्म लिया था, की शुरुआत भी इसी तिथि को हुई थी। यदि आप अक्षय तृतीया पर पूजा और अनुष्ठान कर रहे हैं, तो इसका सर्वोत्तम समय सुबह 5 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 18 मिनट तक है।

परशुराम जयंती

भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुरामजी का जन्म वैशाख माह के 18वें दिन यानी शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ऋषि जमदग्नि के यहां हुआ था। परशुरामजी महान शिवभक्त थे। शिवजी ने उन्हें अपना 'परशु' (फरसा) दिया था, जिससे वे परशुराम कहलाए। भगवान परशुराम की पूजा सूर्योदय और सूर्यास्त से के बीच कभी भी विधि-विधान से की जा सकती है। बता दें, भगवान परशुराम सबसे विख्यात मंदिर कर्नाटक में उडुपी के पास पजाका में स्थित है।

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रोहिणी व्रत

रोहिणी व्रत जैन धर्म का एक प्रसिद्ध पर्व है, जो सौभाग्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। रोहिणी व्रत प्रत्येक माह उस दिन मनाया जाता है, जब दिन की शुरुआत रोहिणी नक्षत्र में होती है। यह व्रत विशेष तौर पर महिलाओं द्वारा पति के दीर्घायु होने के लिए लगातार 3, 5 या 7 वर्षों तक किया जाता है। इस व्रत को कोई निश्चित मुहूर्त नहीं है, लेकिन इसे भी विधिवत सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच कभी कर सकते हैं।

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मातंगी जयंती

देवी मातंगी धार्मिक ग्रंथों में वर्णित दस विद्याओं की देवी में से नौवीं देवी हैं, जो तंत्र विद्या से संबंधित हैं। ये संगीत, भाषण कला सहित अन्य कलाओं में पूर्णता देती हैं। इन्हें 'तांत्रिक सरस्वती' भी कहते हैं। तांत्रिक विधियों से इस देवी की पूजा का सर्वोत्तम समय सूर्यास्त के बाद रात में कभी भी पूरी निष्ठा और विधि से की जा सकती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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