Garud Puran:शव को अकेला छोड़ दें तो क्या होगा? क्या कहता है गरुड़ पुराण?

Garud Puran: महाभारत में युधिष्ठिर कहते हैं कि इस दुनिया का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है। हिन्दू पुराणों में बताया गया है कि जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। गरुड़ पुराण कहता है कि किसी भी प्राणी का अगला जन्म इस बात पर निर्भर करता है कि उसने जीवित रहते कैसा कर्म किया था। हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद मृत शरीर को जलाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्यु के बाद शव को अकेले छोड़ने को क्यों नहीं कहा जाता है?

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Garud Puran: हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है। आपने भी देखा होगा कि जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है तो मृत शरीर के पास कोई न कोई अवश्य मौजूद होता है। ऐसा माना जाता है कि शव को अकेला छोड़ने से मृत आत्मा दुखी हो जाती है और उसे मोक्ष नहीं मिलती। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?  इसका जवाब गरुड़ पुराण में बताया गया है। आइए जानते हैं कि मृत्यु के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?

शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाता है तो आस-पास भटक रही बुरी आत्माएं मृतक के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। बुरी आत्माओं के प्रवेश से मृतक की आत्मा काफी समय तक मृत्युलोक में ही भटकती रहती है। यदि कोई बुरी आत्मा मृत शरीर में वास कर जाती है तो मृतक के परिजनों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गरुड़ पुराण कहता है कि यदि परिवार के लोग मृत शरीर को अकेला छोड़ देते हैं तो शव के आस-पास रेंगने वाले जीव मृत शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यदि किसी का घर जंगल के आस-पास हो तो मृत शरीर को नरभक्षी जीव उठा कर ले जा सकते हैं। ऐसे मे यदि मृत शरीर का अंतिम संस्कार न हो तो मृतक की आत्मा कई दिनों तक अपने घर मे ही भटकती रहती है।

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गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मृत्यु के बाद भी मृतक की आत्मा तेरह दिनों तक वहीं भटकती रहती है जहां उसने प्राण त्यागे थे। ऐसे मेँ यदि मृत शरीर को अकेला छोड़ दिया जाता है तो मृत आत्मा उसमें प्रवेश करने की कोशिश करती है लेकिन प्रवेश नहीं कर पाती। या देखकर वह दुखी हो जाती है। उसके बाद यमदूत उसे घसीटते हुए यमलोक ले जाते हैं।

यदि किसी की मृत्यु शाम के समय हो जाती है तो गरुड़ पुराण कहता है रात्री के समय शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। इसलिए हिन्दू धर्म में शाम के बाद शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता। ऐसे में यदि रात भर शव को अकेला छोड़ दिया जाता है तो मृत आत्मा दुखी हो जाती है और सोचने लगती है क्या मैं अपने परिवार के लिए जीवित रहते ही प्यारा था। ये लोग मुझसे प्रेम करने का दिखावा कर रहे थे।

साथ ही गरुड़ पुराण ये भी कहता है कि शव को अकेला छोड़ देने से शव जल्द ही खराब होने लगता है।  इसलिए परिजनों को चाहिए कि जहां शव को रखा गया हो वहां अगरबत्ती,धूप जैसे सुगंधित पदार्थ को  जलाते रहें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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