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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा आज, जानें अन्नकूट पूजा का शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि

Govardhan Puja 2024: दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है। यहां आपकोआपको गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के बारे में जानने को मिलेगा, जो कि आज यानी 2 नवंबर को मनाया जा रहा है।
07:52 AM Nov 02, 2024 IST | Nidhi Jain
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Govardhan Puja 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का विशेष महत्व है। इस पांच दिनों के दौरान लोगों के घर में अलग दी धूम देखने को मिलती है। सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इसी के साथ घर को लाइटों और फूलों से सजाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और अंत में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

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वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। जो दिवाली त्योहार की पांच दिवसीय श्रृंखला का चौथा पर्व है। इसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गऊ माता, गोवर्धन पर्वत और अन्न की पूजा की जाती है। इस साल गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर, 2024 को यानी आज है।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को शाम 06 बजकर 16 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 2 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को यानी आज मनाया जा रहा है।

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अन्नकूट शुभ मुहुर्त: 2 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजे से लेकर 8 बजे तक है। इसके बाद दोपहर में 03:23 मिनट से लेकर 05:35 मिनट के बीच भी पूजा की जा सकती है। इस दिन लोग अपने घरों में गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाते हैं, जिसकी विधिपूर्वक पूजा शाम के समय की जाती है। साथ ही भगवान को कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाया जाता है।

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गोवर्धन पूजा का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान इंद्र एक बार ब्रजवासियों से नाराज हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने भारी बारिश की थी। भगवान इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इसी के बाद से हर साल गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का आभार प्रकट किया जाता है। प्रकृति को समर्पित ये त्योहार मनुष्य को प्रकृति की सेवा और पूजा करने का अच्छा संदेश भी देता है।

गोवर्धन पूजा की परंपरा

इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। गाय-बैल को स्नान कराकर उन्हें रंग-बिरंगे रूप में सजाते हैं और उनका श्रृंगार किया जाता है। उन्हें गुड़ और चावल देकर विशेष रूप से सम्मानित करते हैं। इसके बाद से भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट भोग लगाया जाता है। अन्नकूट भोग में रोटी, चावल, कढ़ी, पूरी, सब्जी सहित 56 प्रकार के भोजनों का पहाड़ बनाया जाता है, जिसे अन्नकूट कहते हैं।

गोवर्धन पूजा विधि

  • गोवर्धन पूजा के दिन प्रात: काल गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाएं।
  • मूर्ति को फूलों और रंग से सजाएं।
  • गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।
  • भगवान को फल, जल, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • कढ़ी और अन्नकूट चावल का भोग लगाएं।
  • गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
  • पूजा करने के बाद गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें। इस दौरान हाथ में जल लेते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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