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लड्डू-पेड़े नहीं... इस मंदिर में चप्पल-जूतों का चढ़ावा, आखिर क्या है ये अनोखी मान्यता?

Jijabai Mata Mandir: विश्व में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिनसे जुड़ी मान्यताओं को जानकर लोग दंग रह जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे जुड़े राज जानकर आपको हैरानी जरूर होगी। चलिए जानते हैं देश के इकलौते ऐसे मंदिर के बारे में, जहां माता रानी को प्रसाद के रूप में जूते-चप्पल चढ़ाएं जाते हैं।
12:39 PM Aug 30, 2024 IST | Nidhi Jain
लड्डू पेड़े नहीं    इस मंदिर में चप्पल जूतों का चढ़ावा  आखिर क्या है ये अनोखी मान्यता
जूते-चप्पल चढ़ाने से होती हैं मन्नतें पूरी!

Jijabai Mata Mandir: देशभर में अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। प्रत्येक मंदिर का अपना इतिहास और खास मान्यता होती है। आमतौर पर मंदिरों में देवी-देवताओं को प्रसाद के रूप में मिठाई, फल और फूल का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा भगवान को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिरों में जूते-चप्पल को ले जाने की मनाही होती है। लेकिन देश में एक ऐसा मंदिर भी मौजूद है, जहां पर प्रसाद के रूप में देवी को जूते-चप्पल चढ़ाए जाते हैं। मंदिर के अंदर जूते-चप्पल ले जाने की मनाही नहीं होती है। चलिए जानते हैं ये अनोखा मंदिर कहां स्थित है, जहां देवी को जूते-चप्पल चढ़ाएं जाते हैं।

भोपाल में स्थित है ये अनोखा मंदिर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में माता सिद्धिदात्री को समर्पित एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे जीजाबाई माता मंदिर नाम से जाना जाता है। जीजाबाई माता मंदिर भोपाल के बंजारी क्षेत्र में कोलार की पहाड़ियों पर मौजूद है। स्थानीय लोगों के बीच इस मंदिर को पहाड़ी वाली माता मंदिर, सिद्धिदात्री पहाड़ वाला मंदिर और जीजी बाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

जीजाबाई माता मंदिर पहाड़ियों पर स्थित है। इसलिए मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 125 सीढ़ी चढ़नी पड़ती है। कहा जाता है कि आज से करीब 25 साल पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी।

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बाल रूप में विराजमान हैं देवी

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जीजाबाई माता मंदिर में देवी सिद्धिदात्री बाल रूप में विराजमान हैं। इसी वजह से यहां पर उन सभी चीजों को अर्पित किया जाता है, जिसकी जरूरत एक बेटी को होती है। यहां पर जूते-चप्पल चढ़ाने के साथ-साथ देवी सिद्धिदात्री को चश्मा, छाता, कपड़े, इत्र, कंघा, घड़ी और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। नवरात्रि और खास व्रत-त्योहार में तो इस मंदिर में भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है।

बेटी की तरह की जाती है देखभाल

जीजाबाई माता मंदिर में मां की देखभाल एक बेटी की तरह की जाती है। माता रानी खुश रहें, इसके लिए दिन में दो से तीन बार देवी के कपड़े बदले जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 25 साल में अब तक कम से कम 15 लाख कपड़े देवी के बदले जा चुके हैं। रोजाना माता रानी को नई पोशाक पहनाई जाती है। साथ ही समय-समय पर उनका श्रृंगार किया जाता है।

जूते-चप्पल चढ़ाने से होती हैं मनोकामनाएं पूरी!

कहा जाता है जो व्यक्ति सच्चे मन से यहां पर आकर माता को जूते-चप्पल और श्रृंगार का सामान अर्पित करता है, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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