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Sudama Story: श्री कृष्ण नहीं, इस व्रत के कारण दूर हुई थी सुदामा की गरीबी!

Sudama Story: ये तो हम सभी जानते हैं कि सुदामा बहुत ही गरीब थे। कहने को तो सुदामा भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा थे लेकिन वह लज्जा वश उनसे कुछ भी नहीं मांगते थे। अधिकतर कथाओं में यह बताया गया है कि श्री कृष्ण ने ही सुदामा की गरीबी दूर की थी, लेकिन गणेश पुराण में एक अलग ही कथा का वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं गणेश पुराण की ये कथा सुदामा के गरीबी के बारे में क्या कहती है?
07:51 PM Sep 28, 2024 IST | Nishit Mishra
krishna sudama story How Sudama's poverty was overcome
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Sudama Story: सुदामा एक ब्राह्मण होने के साथ-साथ विद्वान भी थे। परन्तु गरीबी उनका पीछा ही नहीं छोड़ रही थी। ऐसे में जब पत्नी के कहने पर वह श्री कृष्ण से मिलने द्वारका गए तो श्री कृष्ण ने उन्हें दरिद्रता दूर करने का एक उपाय बताया। इसी उपाय से सुदामा की गरीबी दूर हुई थी।

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शिवजी और माता पार्वती का संवाद

माता पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने इस कथा के बारे में बताया था। शिवजी ने माता पार्वती से कहा, द्वापर युग की बात है, सुदामा नाम का एक दरिद्र ब्राह्मण हुआ करता था। वह सदाचारी और विद्वान भी था। वह अपनी गरीबी से बहुत ही चिंतित रहता था। एक दिन की बात है सुदामा की पत्नी ने उस से कहा हे प्राणनाथ! आप व्यर्थ ही इतना कष्ट उठा रहे हैं? भगवान त्रिलोकीनाथ आपके बाल सखा हैं। आप उनसे मदद क्यों नहीं मांगते? मुझे पूर्ण विश्वास है कि वह आपकी दरिद्रता अवश्य ही दूर कर देंगे। सुदामा अपने बाल सखा श्री कृष्ण से कुछ नहीं मांगना चाहते थे। परन्तु पत्नी के बार-बार कहने पर वह श्री कृष्ण के पास जाने को तैयार हो गए। पत्नी ने जाते समय श्री कृष्ण को भेंट देने के लिए थोड़े से चावल मैले कपड़े में बांधकर दे दिए। सुदामा किसी प्रकार द्वारकापुरी पहुंचे। परन्तु राजभवन के प्रहरियों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। एक प्रहरी ने कहा पागल हो क्या? श्री कृष्ण तेरे जैसे फटे-हाल से कैसे मिल सकते हैं?

सुदामा और श्री कृष्ण का मिलन

प्रहरी की बातें सुनकर सुदामा ने कहा भाई मैं श्री कृष्णा का बाल सखा हूं। मेरा नाम सुदामा है। तुम जाकर द्वारिकाधीश को बताओ, वह मुझसे अवश्य मिलने आएंगे। सुदामा के बार-बार कहने पर एक प्रहरी श्री कृष्ण के पास गया और बोला हे प्रभु ! एक दरिद्र ब्राह्मण द्वार पर खड़ा है। वह अपना नाम सुदामा कहता है और आपको अपना बाल सखा भी बताता है। सुदामा का नाम सुनते ही भगवान नंगे पांव दौड़कर द्वार पर आए और सुदामा को गले लगा लिया। उसके बाद श्री कृष्ण अपने साथ सुदामा को लेकर महल की ओर चल पड़े। यह देख सारे प्रहरी हैरान हो गए। महल में सुदामा का बड़ा भव्य-स्वागत किया गया। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा को अपने पास बिस्तर पर बिठाया और दोनों बचपन की बातें करने लगे। तभी श्री कृष्ण की नजर उस चावल की पोटली पर पड़ी जो सुदामा की पत्नी ने उन्हें आते समय भेंट देने के लिए दिया था। सुदामा पोटली छिपा रहे थे, लेकिन श्री कृष्ण ने उनसे पोटली झपट लिया और चावल खाते हुए बोले मित्र यह तो बड़ा ही स्वादिष्ट है। इतना स्वादिष्ट भोजन मैंने आज तक नहीं किया।

कृष्ण जी ने बताया उपाय

उसके बाद सुदामा से श्री कृष्ण ने कुशल-क्षेम पूछा। तब सुदामा ने अपनी दरिद्रता की बातें कही। श्री कृष्ण ने कहा मित्र क्या तुम गणेश्वर की पूजा नहीं करते? यदि गणेश्वर प्रसन्न हो जाते हैं तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तब सुदामा ने पूछा, यह गणेश्वर कौन हैं? इनकी पूजा का क्या विधान है? इनका व्रत कब करना चाहिए? इस प्रभु का ध्यान, पूजन कैसे किया जाता है? कृपया कर मुझे बताइए।

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गणेश जी की महिमा

तब श्री कृष्ण ने कहा गणेश जी की ही प्रार्थना सभी करते हैं। उन्हीं की इच्छा से इस सृष्टि का पालन होता है। हे मित्र! तुम गणेश जी का व्रत किसी भी मास की चतुर्थी तिथि को कर सकते हो। अथवा वैशाखी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा या अन्य किसी पुण्य अवसर पर भी कर सकते हो। यदि मंगलवार, शुक्रवार या रविवार के दिन करते हो तो अधिक फलदायी होगा।

पूजन विधि और फल

व्रत के दिन प्रातःकाल स्नानादि के बाद गणेश जी का संकल्प करना चाहिए। फिर तिल और आंवले के चूर्ण का उबटन लगाकर पुनः स्नान करें। स्नान के बाद नव ग्रहों का पूजन करें। धरती को गोबर से लीपकर चौका पर कलश स्थापन करें। उसके बाद गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उसका पूजन करना चाहिए। फिर भोग में गणेश जी को मोदक अर्पित करें। पूजा संपन्न होने के बाद ब्राह्मणो को भोजन कराएं। उसके बाद परिवार के साथ बैठकर स्वयं भोजन करें। गणेश पुराण के अनुसार सुदामा ने कई महीने गणेश जी का व्रत किया उसके बाद सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई और वह धन-धान्य से पूर्ण हो गए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Tags :
Hindu Mythologykrishna sudama storymahabharat story
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