होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

Matsya Dwadashi 2024: 11 या 12 दिसंबर, कब है मत्स्य द्वादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Matsya Dwadashi 2024: हर साल मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। हालांकि इस बार द्वादशी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं साल 2024 में 11 दिसंबर या 12 दिसंबर, किस दिन मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जाएगा।
12:08 PM Dec 07, 2024 IST | Nidhi Jain
मत्स्य द्वादशी 2024
Advertisement

Matsya Dwadashi 2024: भगवान विष्णु के 24 अवतार हैं, जिसमें से एक मत्स्य अवतार भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पृथ्वी के संरक्षण के लिए विष्णु जी ने मछली यानी मत्स्य अवतार लिया था। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जाएगा।

Advertisement

मान्यता है कि जो लोग इस दिन सच्चे मन से देवता की पूजा करते हैं, उनके घर-परिवार में सदा खुशहाली, सुख, समृद्धि और शांति रहती है। कभी भी उन्हें पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। पूजा-पाठ के अलावा मत्स्य द्वादशी के दिन व्रत रखने से साधक को पापों से मुक्ति मिलती है। चलिए जानते हैं दिसंबर 2024 में किस दिन मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जाएगा। साथ ही आपको भगवान की पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में भी पता चलेगा।

2024 में कब है मत्स्य द्वादशी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 12 दिसंबर 2024 को प्रात: काल 1 बजकर 09 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 12 दिसंबर 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर साल 2024 में 12 दिसंबर को मत्स्य द्वादशी का व्रत रखा जाएगा।

ये भी पढ़ें- 9 ग्रहों और 27 नक्षत्रों का 12 राशियों पर क्या असर? जानें प्रेमानंद महाराज से

Advertisement

12 दिसंबर 2024 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 07:03 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05:27 से लेकर सुबह 06:15 मिनट तक
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:59 से लेकर दोपहर 12:41 मिनट तक

मत्स्य द्वादशी की पूजा विधि

  • व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर में एक चौकी रखें। चौकी के ऊपर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें।
  • गणेश जी की पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की आराधना करें।
  • विष्णु जी को पीले फूल, फल, दीप, धूप, नैवेद्य और कुमकुम आदि अर्पित करें। इस दौरान विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
  • माता लक्ष्मी और सरस्वती जी की पूजा करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • विष्णु जी के मत्स्य अवतार की कथा पढ़ें या सुनें।
  • अंत में देवी-देवताओं की आरती करके पूजा का समापन करें।

ये भी पढ़ें- Video: राहु गोचर से इस राशि के लोगों को होगा तगड़ा मुनाफा, बेरोजगारों को मिलेगी नौकरी!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Open in App
Advertisement
Tags :
AstrologyMatsya Dwadashi
Advertisement
Advertisement