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कथा-सत्संग में जूते-चप्पल चोरी होना सही या गलत? अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कही ये बात!

Hindu Dharma: शायद आपके साथ भी ऐसी घटना हुई कि कथा या मंदिर गए हों और पीछे में आपके जूते-चप्पल चोरी हो गए हों? आइए जानते हैं, कथा-सत्संग में जूते-चप्पल चोरी होना क्या संकेत देता है, यह सही है या गलत और साथ ही जानते हैं कि कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज के इस पर क्या विचार हैं?
03:17 PM Sep 26, 2024 IST | Shyam Nandan
कथा सत्संग में जूते चप्पल चोरी होना सही या गलत  अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कही ये बात

Hindu Dharma: अक्सर ये देखा और सुना जाता है कि कथा, सत्संग और मंदिर में लोगों के जूते-चप्पल भी चोरी हो जाते हैं। इससे तत्काल लोगों को बहुत दिक्कत होती है। हो सकता है कि ऐसा एकाध वाकया आपके साथ भी हुआ हो। इसे लेकर कई बातें हैं। ऐसा होना सही है या गलत है और यह किस बात का संकेत है, इस बारे में अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अपने ऑफिशियल यूट्यूब पर एक वीडियो बताया है। आइए जानते हैं, इसे लेकर उन्होंने क्या बातें की हैं?

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अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अपने ऑफिशियल यूट्यूब पर एक वीडियो में कहा, 'अभी कथा पूरी होगी तो कुछ मैया कहेंगी, महाराज हमारी चप्पल चोरी हो गई। कथा सुनने आए थे, चप्पल ही ले गए। तीन घंटे कथा सुनते हैं, पर रोते किसके लिए हैं, चप्पल जूते के लिए।’

कन्हैया वृंदावन में साढ़े दस साल नंगे पांव रहे

अनिरुद्धाचार्य महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण का जिक्र करते हुआ हुए कहा, “इधर चप्पल-जूते से आपका मन नहीं हट रहा है। उधर हमारे कन्हैया वृंदावन में साढ़े दस साल रहे और नंगे पांव रहे। वृंदावन आए हो, तो चप्पल-जूता कमरे में उतार दो, जहां रुके हो और ब्रज मंडल में नंगे पांव चलो ताकि आपके शरीर से यहां की रज का स्पर्श बना रहे। जिससे चप्पल-जूता चोरी होने की संभावनाए भी खत्म हो जाएं और आपका ध्यान चप्पल-जते से हटकर सीधा कथा में लगे।”

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सादा जीवन जियो

उन्होंने कहा, “अब या तो इतने महंगे चीज मत पहनो। अगर पहने हो और अगर चोरी हो जाए तो इतना बड़ा दिल रखो कि चले जाएं तो रोओगे नहीं। या फिर पहनो ही मत। मन को हटाओ इन चीजों से। सादा जीवन जियो। ज्यादा चमक-धमक दिखावे के चक्कर में मत रहो। धाम में आए हो तो ध्यान भगवान का हो न कि चीजों का हो। अगर आपका ध्यान वहीं लगा रहेगा तो आप भगवान में ध्यान नहीं दे पाएंगे।”

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भगवान और आपके बीच कोई नहीं हो

उन्होंने कहा, “आज भक्तों के अंदर त्याग नहीं है। भक्ति करते तो हैं पर वस्तुओं से बिल्कुल चिपके हुए हैं। माला जपेंगे लेकिन आंखें इधर-उधर घूमने लगती हैं। ध्यान ऐसा करो कि भगवान और आपके बीच कोई नहीं होना चाहिए। आंख बंद हों तो भगवान सामने खड़े दिखना चाहिए।”

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने वीडियो में और कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जिसे आपको जानना चाहिए। यदि जानने के इच्छुक हैं, तो आप ऊपर उनके दिए गए वीडियो को देख सकते हैं, जो हमने साभार उनके ऑफिशियल यूट्यूब चैनल से लिया है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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