Navratri 2024: उत्तर प्रदेश के इस मंदिर की परिक्रमा करने से पूरी होती है हर मनोकामना! मां भगवती बरसाती हैं कृपा
Nav Durga Shakti Mandir, Khurja: सनातन धर्म के लोगों के लिए माता दुर्गा को समर्पित नवरात्रि के पर्व का खास महत्व है। इस दौरान व्रत रखने के साथ-साथ माता दुर्गा यानी देवी भगवती की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के मंदिरों में भी अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां नवरात्रि के दौरान हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां भगवती के इस मंदिर के दर्शन करने और 108 बार परिक्रमा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर-परिवार में शांति बनी रहती है। आइए जानते हैं मां भगवती का ये मंदिर उत्तर प्रदेश में किस जगह स्थित है।
मां के नौ रूप आते हैं नजर
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की खुर्जा नगर में नवदुर्गा शक्ति मंदिर स्थित है, जिसे स्तंभ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में देवी भगवती की अठारह भुजाओं की विशाल प्रतिमा विराजमान है, जिसमें मां के नौ रूप नजर आते हैं। मां की प्रतिमा को चार टन अष्टधातु से बनाया गया है, जिसके 27 खंड हैं। कहा जाता है नवदुर्गा की इस मूर्ति को 100 से ज्यादा मूर्तिकारों ने मिलकर बनाया था। मां की प्रतिमा के एक तरफ भैरव बाबा और दूसरी तरफ हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। इसी के साथ मंदिर में भगवान शंकर की भी विशाल मूर्ति विराजमान है।
दो हजार वर्गफीट में फैला है ये मंदिर
स्तंभ मंदिर दो हजार वर्गफीट में बना है, जिसकी ऊंचाई 30 फीट के आसपास है। जबकि मंदिर का शिखर करीब 60 फीट ऊंचा है। इसके अलावा मंदिर की हर दीवार पर कमाल की नक्काशी भी की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्तंभ मंदिर का निर्माण साल 1993 में हुआ था, लेकिन माता की मूर्ति की स्थापना 13 फरवरी 1995 को हुई थी।
मंदिर के कपाट रोजाना सुबह चार बजे खुल जाते हैं। नियमित रूप से मंदिर में पूजा और आरती की जाती है। आम दिनों के मुकाबले नवरात्रि के मौके पर मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ देखने को मिलती है।
परिक्रमा करने मात्र से पूरी होती है इच्छा!
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से नवदुर्गा शक्ति मंदिर के दर्शन करते हैं और पूरे मंदिर की 108 बार परिक्रमा करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। परिक्रमा करने के बाद मंदिर परिसर में मौजूद स्तंभ पर कलावे से गांठ बांधना भी जरूरी होता है। इसके बाद ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है। इसके अलावा कहा तो ये भी जाता है कि इस मंदिर की 108 परिक्रमा करने से गोवर्धन की एक परिक्रमा के बराबर फल मिलता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।