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Pitru Paksh 2024: भूल से भी पितृपक्ष में न करें ये 5 गलतियां, पूर्वजों के प्रकोप से हो सकते हैं कंगाल!

Pitru Paksha 2024: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष पूर्वजों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक पवित्र समय है। साल 2024 में पितृपक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, इस दौरान कुछ गलतियां करने से पितर और पूर्वज नाराज हो जाते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये गलतियां, ताकि इन्हें करने से बच सकें?
12:05 PM Sep 08, 2024 IST | Shyam Nandan
pitru paksh 2024  भूल से भी पितृपक्ष में न करें ये 5 गलतियां  पूर्वजों के प्रकोप से हो सकते हैं कंगाल

Pitru Paksha 2024: हिन्दू धर्म में पितृपक्ष पूर्वजों और पितरों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक पवित्र और सर्वोत्तम समय माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दौरान श्रद्धांजलि और तर्पण अलावा भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वज आशीर्वाद देने धरती पर उतरते हैं।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान न केवल पितृपक्ष की पूजा करने वालों को बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए, अन्यथा पूर्वज और पितर नाराज हो जाते हैं। कहते हैं कि उनकी कृपा रुकने से घर की खुशियों पर ग्रहण लग जाता है, आर्थिक संकट बढ़ जाती है, यहां तक कि कंगाली भी आ सकती है। आइए जानते हैं, साल 2024 में पितृपक्ष कब से कब तक है और दौरान कौन-सी 5 बड़ी गलतियां नहीं करनी चाहिए।

कब से कब तक है पितृपक्ष 2024?

पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है, जो इस साल मंगलवार 17 सितंबर, 2024 पड़ रही है। जहां तक पितृपक्ष के शुरुआत के बात  आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा यानी प्रथमा तिथि से होती है, जो 18 सितंबर को है। वहीं,आश्विन मास की अमावस्या के दिन पितृपक्ष का समापन होता है, जो इस साल 2 अक्टूबर 2024 को है। बता दें, आश्विन मास की अमावस्या को ‘सर्व पितृ अमावस्या’ कहते हैं। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है।

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पितृपक्ष में न करें ये गलतियां

1. धर्म ग्रंथों के अनुसार, पितृपक्ष में घर किसी भी तरह का मांगलिक और शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान शादी-विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कामों को करने की मनाही होती है।

2. मान्यता है कि पितृपक्ष में नई चीजों की खरीदारी करने से भी बचना चाहिए। पितृपक्ष में नए कपड़े, घर के लिए नया सामान या नया फर्नीचर खरीदना शुभ नहीं माना जाता है।

3. पितृपक्ष के दिनों में न तो तर्पण करने वाला और न ही परिवार के अन्य सदस्यों को तामसिक चीजों का सेवन न करना। मान्यता है कि इस दौरान मांस, मछली, मदिरापान या लहसुन, प्याज आदि का सेवन करने से पूर्वज और पितर कुपित होते हैं और अपना प्रकोप दिखाते हैं।

4. मान्यताओं के मुताबिक़ पितृपक्ष में सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, जीरा, मसूर की दाल, चना-सरसों का साग आदि का सेवन भी नहीं करना वर्जित माना गया है।

5. मान्यता है कि श्राद्ध के भोजन को लोहे के बर्तन में न परोसना चाहिए। इसके लिए तांबे, पीतल या अन्य किसी धातु के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए।

इन सबके अलावा, पितृपक्ष में बाल या दाढ़ी बनवाना भी वर्जित है। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। जो तर्पण करते हैं, उनको पूरे पितृपक्ष के दौरान संभोग करने से बचना चाहिए। मान्यता है कि ये गलतियां करने से पितृदोष लगता है। जीवन में ढेर सारी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। बदहाली और कंगाली आने के दुर्योग बन सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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