Ramayana Katha: नाक कटाने वाली शूर्पणखा रावण को चाहती थी मरवाना, जानिए क्या है असली कहानी
Dussehra 2024: रामायण की बेहद एक महत्वपूर्ण और निर्णायक चरित्र शूर्पणखा ऋषि विश्रवा और कैकसी की बेटी और रावण की बहन थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिछले जन्म में शूर्पणखा, नयनतारा नाम एक अप्सरा थी जिसका नाम था। जिसे इंद्र ने 'वज्रा' नाम के ऋषि की तपस्या को रोकने के लिए भेजा था। तपस्या भंग होने पर ऋषि ने नयनतारा को राक्षसी होने का श्राप दिया था। लेकिन फिर नयनतारा की क्षमा याचना के बाद ऋषि ने कहा कि तुम्हें प्रभु दर्शन देकर श्राप से मुक्त करेंगे। इसलिए उसका जन्म राक्षसी वंश में हुआ था। आइए जानते हैं, क्या शूर्पणखा रावण को मारना चाहती थी, क्या नाक कटवाना उसके षडयंत्र एक हिस्सा था? आइए जानते हैं, असली कहानी क्या है?
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बेहद सुंदर थी शूर्पणखा?
किसी भी पौराणिक कहानी में शूर्पणखा को बदसूरत या कुरूप नहीं बताया गया है। कई कथाओं में उसका नाम 'चंद्रलखा' मिलता है, जिसका अर्थ होता है, चांद-सी सुंदर दिखने वाली। दरअसल, शूर्पणखा नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है: शूर्प और नख। शूर्प का अर्थ होता है- सूप और नख का अर्थ है- नाखून, इस प्रकार इसका अर्थ हुआ- जिसके नाखून सूप जैसे हों। रामायण में शूर्पणखा को उसके क्रूर स्वभाव के लिए जाना जाता है। उसके लंबे और नुकीले नाखून उसके इसी स्वभाव का प्रतीक माने जाते हैं।
विद्युतजिह्वा से हुआ था विवाह
रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिह्वा था। विद्युतजिह्वा कालकेय दैत्य वंश के राजा का सेनापति थे। कहते हैं, शूर्पणखा ने विद्युतजिह्वा के साथ शादी छिपकर की थी यानी इस बात की जानकारी रावण को नहीं थी। रावण ने एक समय पूरी दुनिया पर विजय पाने के लिए युद्ध की शुरुआत की थी। इस दौरान उसका सामना शूर्पणखा के पति विद्युतजिह्वा से हुआ था। इस युद्ध में रावण ने अपनी ही बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिह्वा की हत्या कर दी थी। इससे शूर्पणखा बेहद दुखी हुई थी।
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बदला लेना चाहती थी शूर्पणखा
रामायण के अनुसार, अपने पति विद्युतजिह्वा की मरने की घटना के बाद से शूर्पणखा अपने भाई रावण से नाराज थी और उसे अपने पति की हत्या का जिम्मेदार मानती थी। कहते हैं कि वह अपने पति की हत्या का बदला लेना चाहती थी। उसे लगता था कि रावण ने उसके साथ अन्याय किया है और उसे दंड मिलना चाहिए।
फिर रचा ये षडयंत्र
कहते हैं कि इसके बाद जब भगवान राम दंडकारण्य वन में रहने आए तो शूर्पणखा अपने पति के मौत का बदला लेने के लिए राम और रावण के बीच दुश्मनी पैदा करने का काम किया। शूर्पणखा ने ऐसा इसलिए किया था। क्योंकि उसको अपने भाई के ताकत के साथ भगवान राम की शक्ति के बारे में भी पता था। इसलिए शूर्पणखा ने जान-बूझकर राम और लक्ष्मण को उकसाने का काम किया जिसके बाद लक्ष्मण ने उसके नाक कान काट लिए थे। अपने साथ हुई घटना को शूर्पनखा ने बढ़ा-चढ़ाकर बताया और रावण को सीता के हरण के लिए उकसाया था।
शूर्पनखा जानती थी कि प्रभु श्रीराम के साथ युद्ध हुआ, तो लंका और रावण का घमंड दोनों हमेशा के लिए नष्ट हो जाएंगे। अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए शूर्पनखा ने यह सारा प्रपंच रचा, ताकि रावण को उसके किए की सजा दे सके। कहते हैं, रावण के विनाश का यह रास्ता सुझाने में स्वयं उसके पिता ऋषि विश्रवा ने सहायता की थी, क्योंकि रावण के अहंकार और अत्याचार से तीनों लोक त्रस्त था।
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