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Garuda Purana Story: हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के समय सिर पर 3 बार डंडे क्यों मारे जाते हैं?

Garud Puran Story: गरुड़ पुराण में अंतिम संस्कार से जुड़े हर विधि का वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है अगर परिवार के लोगों द्वारा विधि-विधान के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है तो मृत आत्मा को जल्द ही मुक्ति मिल जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि अंतिम संस्कार के समय कपाल क्रिया करना क्यों जरूरी है?
01:56 PM Sep 28, 2024 IST | Nishit Mishra
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Garud Puran Story: हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है। अंतिम संस्कार के समय भी कई क्रियाओं का पालन करना जरूरी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाए तो मृत आत्मा जल्द ही यमलोक पहुंच जाती है। इन्ही क्रियाओं में से एक क्रिया है कपाल क्रिया। कपाल क्रिया के दौरान शव की खोपड़ी पर तीन बार बांस के डंडे से मारा जाता है। आइए जानते हैं कपाल क्रिया करना क्यों आवश्यक है?

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गरुड़ पुराण क्या कहता है?

गरुड़ पुराण के धर्मकाण्ड में मृत्यु के बाद की जाने वाली क्रियाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार के समय शव को मुखाग्नि दिए जाने के बाद बांस के डंडे पर एक लोटा बांधकर शव के सिर पर घी डाला जाता है और ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अग्निदाह के समय शव का सिर अच्छे से जल सके। इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि मनुष्य के सिर की हड्डी बांकी अंगों की अपेक्षा ज्यादा मजबूत होती है। इसलिए उसे अच्छे से अग्नि में नष्ट करने के उद्देश्य से ही शव की खोपड़ी पर घी डाला जाता है।

शव की खोपड़ी को पूर्ण रूप से नष्ट करना क्यों आवश्यक है?

गरुड़ पुराण के अनुसार यदि शव की खोपड़ी अधजली रह जाती है तो मृतक के अगले जन्म में उसका विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता। इसके आलावा एक मान्यता ये भी है कि यदि कपाल क्रिया न किया जाए तो मृतक के प्राण पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं होते। श्राद्ध चंद्रिका पुस्तक के अनुसार मनुष्य के सिर में ब्रह्मा का वास माना गया है। इसलिए मृतक के शरीर को पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान देने के लिए कपाल क्रिया की जाती है। जिसके लिए मस्तिष्क में स्थित ब्रह्मरंध का पूर्ण रूप से विलीन होना जरूरी है। इसलिए कपाल क्रिया को अंतिम संस्कार की क्रिया में महत्वपूर्ण माना गया है। आपने देखा होगा कि कुछ अघोरी या तांत्रिक, तंत्र विद्या के लिए कपाल का उपयोग करते हैं। श्राद्ध चंद्रिका पुस्तक के अनुसार जिस किसी भी मृतक के कपाल का उपयोग अघोरियों द्वारा किया जाता है उसे मुक्ति नहीं मिलती। कपाल क्रिया के बाद सिर फटने के समय जोर से आवाज करता है तो मान लिया जाता है कि मृतक पूर्ण रूप से जल चुका है।

ये भी पढ़ें-Garud Puran Story: मृत्यु के बाद कहां भटकती रहती है मृत आत्मा? गरुड़ पुराण में छिपा हुआ है रहस्य

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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garud purangarud puran ki katha
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