3 इंटरनेशनल स्टेडियम में ‘गली क्रिकेट’, पेड़ पर मारा तो मिलता है चौका, सचिन- गांगुली भी खेल चुके मैच
Sachin Tendulkar: क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जो अब कुछ देशों तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इस खेल को अब पूरी दुनिया में खेला जाता है। मौजूदा समय में नए देश इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ज्यादातर खिलाड़ी गली क्रिकेट से ही अपने सफर का आगाज करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में कुल 3 इंटरनेशनल स्टेडियम ऐसे हैं, जहां पर गली क्रिकेट वाले नियम हैं। इन मैदानों के बीच में एक पेड़ है। अगर गेंद पेड़ को छू लेती है तो अंपायर बल्लेबाजी करने वाली टीम को चौका देता है। खास बात ये है कि इन मैदानों पर इंटरनेशल मैच भी खेले जा चुके हैं।
द ओवल क्रिकेट ग्राउंड
साउथ अफ्रीका के पीटरमैरिट्सबर्ग शहर में द ओवल क्रिकेट मैदान विश्व कप 2003 के दौरान चर्चा में आया था। इस दौरान पूरी दुनिया में ये स्टेडियम की खूब चर्चा हुई थी। इस मैदान पर बाउंड्री लाइन के पास एक पेड़ है। इस वजह से इस मैदान के नियम थोड़े अलग है। अगर गेंद पेड़ से टकरा जाती है तो अंपायर चौका मान लेते हैं। इस मैदान पर अब तक दो इंटरनेशनल मैच खेले गए हैं। पहले मैच में श्रीलंका और बांग्लादेश की टीमें आमने-सामने थीं। जबकि दूसरा मैच भारत और नामीबिया के बीच खेला गया था। नामिबिया के खिलाफ खेले गए मैच में सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर ने दमदार शतक जड़ा था और भारत ने ये मुकाबला 181 रनों से अपने नाम किया था।
सेंट लॉरेंस ग्राउंड
इंग्लैंड में स्थित सेंट लॉरेंस ग्राउंड ग्राउंड का लिस्ट में दूसरा नाम आता है। इस मैदान पर भी एक पेड़ लगा हुआ है। ये मैदान केंट क्रिकेट क्लब का होम ग्राउंड भी है। हालांकि 2005 में तेज हवाओं की वजह से पेड़ गिर गया था। बाद में इस पेड़ की जगह पर दूसरा पेड़ लगाया गया था। ये पेड़ आज भी इस मैदान पर मौजूद है।
वीआरए क्रिकेट ग्राउंड
वीआरए क्रिकेट ग्राउंड नीदरलैंड्स में है। इस मैदान पर कई बड़े मैच खेले गए हैं। साल 1999 में विश्व कप के दौरान इस मैदान पर एक मुकाबला खेला गया था। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई वीडियोकॉन कप के मुकाबले यहां खेले जा चुके हैं। इस मैदान के अंदर भी एक विशाल पेड़ है। हालांकि कई सालों से इस मैदान पर इंटरनेशनल मुकाबला नहीं खेला गया है।
ये भी पढ़ें: IND vs BAN: पहली पारी में टॉप ऑर्डर हुआ फेल, तो इन दो भारतीय दिग्गजों की खली कमी