होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

3 पन्नों में समेट दिया 29 साल का सफर, इमोशनल कर देगा विनेश फोगाट का ये पोस्ट

Vinesh Phogat Retirement U Turn: रेसलर विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक के फाइनल से पहले अयोग्य करार दिए जाने के बाद फैंस को बड़ी खुशखबरी दी है। उन्होंने संन्यास के फैसले पर यू-टर्न लेने का हिंट दिया है।
08:59 PM Aug 16, 2024 IST | Pushpendra Sharma
विनेश फोगाट
Advertisement

Vinesh Phogat Retirement U Turn: भारत की स्टार रेसलर विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से बिना मेडल लिए घर लौट रही हैं। उन्हें ओलंपिक में 50 किग्रा फ्री स्टाइल कुश्ती के फाइनल से पहले 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से अयोग्य करार दे दिया गया। जिससे वह मेडल लेने से चूक गईं। उन्होंने इसके बाद कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्टस (CAS) में सिल्वर मेडल दिलाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी ये अपील खारिज कर दी। जिससे देशवासियों को बड़ा झटका लगा। विनेश अब 17 अगस्त को घर लौट रही हैं। उनके घर लौटने का पूरा देश इंतजार कर रहा है। उन्होंने घर लौटने से ठीक पहले फैंस को बड़ी खुशखबरी दी है। विनेश ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने संन्यास के फैसले को वापस लेने का इशारा कर दिया है।

Advertisement

2032 तक खेल सकती थी

फोगाट ने सोशल मीडिया पर एक लंबा-चौड़ा नोट लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा- "मेरी टीम, मेरे साथी भारतीयों और परिवार को ऐसा लगता है कि जिस लक्ष्य के लिए हम काम कर रहे थे और जिसे हासिल करने की हमने योजना बनाई थी, वह अधूरा रह गया है। कुछ कमी हमेशा बनी रह सकती है और चीजें फिर कभी वैसी नहीं हो सकतीं। मैं खुद को शायद किसी भी अलग परिस्थिती में 2032 तक खेलते देख सकती थी, क्योंकि मेरे अंदर की लड़ाई और कुश्ती हमेशा रहेगी।"

बचपन से लेकर अब तक के संघर्ष को किया बयां

फोगाट ने इसके साथ ही बचपन से लेकर अब तक के अपने संघर्ष को बयां किया। उन्होंने कहा कि पिताजी मुझे हमेशा सपनों की उड़ान भरते देखना चाहते थे। उनके गुजरने के बाद मां ने हमें सबकुछ सिखाया। उस अस्तित्व ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मेरी मां की कठिनाइयों को देखना, कभी हार न मानने वाला रवैया और लड़ने की भावना मुझे हिम्मत देती है। उन्होंने मुझे अधिकार के लिए लड़ना सिखाया है।

Advertisement

विनेश ने अपने पोस्ट में बचपन से लेकर सड़क के संघर्ष तक को बयां किया। विनेश ने लिखा- एक छोटे से गांव की लड़की होने के नाते मुझे नहीं पता था कि ओलंपिक क्या होता है। यहां तक कि मुझे रिंग्स का मतलब भी नहीं पता था।

एक छोटी बच्ची के तौर पर मैं लंबे बाल, अपने हाथ में मोबाइल फोन और वे सभी चीजें करने का सपना देखती थी, जिसे आमतौर पर एक एक बच्ची देखती है। मेरे पिता एक साधारण बस चालक थे। वह मुझसे कहा करते थे कि एक दिन जब वह नीचे सड़क पर गाड़ी चला रहे होंगे तो वह अपनी बेटी को विमान में ऊंची उड़ान भरते देखेंगे।

ये भी पढ़ें: ‘वो मर सकती थी..’ विनेश फोगाट को लेकर कोच का दिल दहलाने वाला खुलासा

तब मुझे लगा कि केवल मैं ही अपने पिता के सपनों को हकीकत में बदल सकती हूं। मैं तीन बेटियों में सबसे छोटी थी। यह नहीं कहूंगी कि मैं ही उनकी फेवरेट थी। जब वह मुझे ओलंपिक के बारे में बताते थे तो मैं इस बेतुके विचार पर हंसती थी। मेरे लिए इसका कोई खास मतलब नहीं था।

विनेश ने आगे लिखा- मेरी मां की जीवन की कठिनाइयों पर एक पूरी कहानी लिखी जा सकती है। वह केवल यही सपना देखती थीं कि एक दिन उनके सभी बच्चे उनसे बेहतर जीवन जिएंगे। स्वतंत्र होना और उनके बच्चे अपने पैरों पर खड़े होना, उनके लिए एक सपना था। उनकी इच्छाएं और सपने मेरे पिता की तुलना में बहुत सरल थे।

लेकिन जिस दिन पिता हमें छोड़कर गए, मेरे पास सिर्फ उनके विचार और उस उड़ान भरने के बारे में कहे गए शब्द रह गए। मैं तब तक इसके अर्थ को लेकर उलझन में थी, लेकिन फिर भी उस सपने को हमेशा अपने पास रखती। मेरे पिता की मृत्यु के कुछ महीने बाद उन्हें स्टेज 3 कैंसर का पता चला था।

यहीं से उन तीन बच्चों की असली यात्रा शुरू हुई, जिन्होंने अपनी अकेली मां को सपोर्ट करने के लिए अपना बचपन खो दिया। जल्द ही लंबे बाल, मोबाइल फोन के मेरे सपने फीके पड़ गए। तब जाकर मैंने जीवन की वास्तविकता का सामना किया।

हमने आत्मसमर्पण नहीं किया

विनेश ने आगे लिखा- कहने के लिए और भी बहुत कुछ है और बताने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन मैं जानती हूं कि शब्द कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे। जब समय सही होगा, तो शायद मैं फिर से बोलूंगी। आगे विनेश ने कहा- 6 अगस्त की रात और 7 अगस्त की सुबह...मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने हार नहीं मानी। हमारी कोशिश नहीं रुकी। हमने आत्मसमर्पण नहीं किया, लेकिन घड़ी रुक गई और समय सही नहीं था। मेरी किस्मत भी शायद ऐसी ही थी।

ये भी पढ़ें: Vinesh Phogat को मेडल दिलाने की दोबारा कोशिश क्यों नहीं? IOA को किसका इंतजार?

Open in App
Advertisement
Tags :
Paris Olympicsparis olympics 2024vinesh phogat
Advertisement
Advertisement