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क्यों अशुभ है 'नेल्सन स्कोर', अंपायर डेविड शेफर्ड ने किया मशहूर, ब्रिटेन के नेवी अफसर से जुड़ा है कनेक्शन

कहानी क्रिकेट के उस अंधविश्वास की, जिसे 'नेल्सन नंबर' के नाम से जाना जाता है। जानिए क्रिकेटर्स इस नंबर को क्यों अशुभ मानते हैं।
07:02 PM Sep 13, 2024 IST | News24 हिंदी
क्यों अशुभ है  नेल्सन स्कोर   अंपायर डेविड शेफर्ड ने किया मशहूर  ब्रिटेन के नेवी अफसर से जुड़ा है कनेक्शन
Umpire david shepherd

What Is Nelson In Cricket: अन्य खेलों की तरह क्रिकेट भी ऐसा खेल है, जिसमें खिलाड़ी अंधविश्वास पर यकीन रखते हैं। इसमें महान खिलाड़ियों से लेकर छोटे प्लेयर्स शामिल हैं। बॉलर से लेकर बैट्समैन तक शामिल हैं। यहां तक कि अंपायर भी इस पर यकीन करते नजर आए हैं। भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर हमेशा पहले बाएं पैर में पैड बांधते थे, तो वहीं मोहिंदर अमरनाथ फील्डिंग करते समय अपनी पैंट की जेब में लाल रूमाल रखते थे। क्रिकेटरों को ऐसा लगता है कि अगर वो ऐसा करेंगे तो उनका प्रदर्शन अच्छा रहेगा। एक ऐसे ही अंधविश्वास की कहानी 'नेल्सन नंबर' की भी है, जिसे क्रिकेट में अशुभ माना जाता है।

डेविड शेफर्ड ने किया मशहूर

दरअसल यह इंग्लैंड के मशहूर अंपायर डेविड शेफर्ड का अंधविश्वास था, जिसे बाद में 'नेल्सन' नाम दिया गया। शेफर्ड जब भी स्कोरबोर्ड पर 111 रन देखते थे तो अंपायरिंग के दौरान ही अपने एक पैर पर खड़े हो जाते थे। यहीं से 111 के स्कोर को 'नेल्सन नंबर' कहा गया। यही नहीं 222 को डबल नेल्सन और 333 को ट्रिपल नेल्सन कहा जाता है। क्रिकेट वर्ल्ड में यह माना जाता है कि 111 का मतलब तीनों स्टम्प्स खाली हैं और उन पर बेल्स नहीं हैं। स्टंप्स के उखड़ जाने पर आमतौर पर विकेट गिरता है, इसलिए 111 का स्कोर अशुभ माना जाता है।

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लॉर्ड नेल्सन के नाम पर पड़ा नाम

माना जाता है कि इस शब्द की उत्पत्ति लॉर्ड नेल्सन (ब्रिटेन की रॉयल नेवी का अफसर) से हुई है, जो युद्ध में लड़ते हुए एक आंख, एक हाथ और एक पैर खो बैठा था। यही वजह है कि लोग इसे बुरा संकेत मानते हैं। क्रिकेट में कई बार देखा गया है कि जब भी कोई टीम 111 रन यानी नेल्सन पर विकेट गंवाती है तो अंपायर इसे ऑनएयर 'नेल्सन स्ट्राइक' बोलते हैं।

नेल्सन को लेकर गजब संयोग

'नेल्सन स्कोर' को लेकर 2011 में एक गजब संयोग देखने को मिला था। यह बात 11 नवंबर 2011 को ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच खेले गए टेस्ट मैच की है। इस मैच में एक पल वो भी आया, जब प्रोटियाज टीम को मैच जीतने के लिए 111 रन चाहिए थे। यह गजब का संयोग ही था कि साउथ अफ्रीका टीम को 2011 के 11वें महीने की 11वीं तारीख को 11 बजकर 11 मिनट पर जीत के लिए 111 रन चाहिए थे।

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