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घर के सामान में लग जाती है जंग, लेकिन ट्रेन की पटरियों पर क्यों नहीं? आखिर जानें इसका राज

Railway track: क्या आपने कभी सोचा है कि घर के सामान पर आसानी से जंग लग जाती है, लेकिन रेल की पटरियों पर ऐसा क्यों नहीं होता? ये सवाल बहुत दिलचस्प है। आइए जानते हैं...
05:23 PM Nov 14, 2024 IST | Ashutosh Ojha
घर के सामान में लग जाती है जंग  लेकिन ट्रेन की पटरियों पर क्यों नहीं  आखिर जानें इसका राज
railway track

Railway track: अगर लोहे का सामान खुले में छोड़ दिया जाए, तो वह जल्दी जंग पकड़ लेता है और खराब होकर कबाड़ बन जाता है। इसके विपरीत, ट्रेन की पटरियां सालों तक खुले में रहने के बावजूद जंग नहीं पकड़तीं। आपने कभी सोचा है कि क्यों आपके घर की स्टील की चीजें जंग लगने से खराब हो जाती हैं, जबकि रेल की पटरियां बारिश, धूप और नमी सहने के बावजूद सही रहती हैं?

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railway track

लोहे पर जंग क्यों लगता है?

जब लोहे या स्टील से बनी चीजें ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आती हैं, तो उन पर एक भूरे रंग की परत बन जाती है जिसे आयरन ऑक्साइड कहते हैं। इसे ही जंग लगना कहा जाता है। इससे लोहा धीरे-धीरे गलने लगती है और सामान खराब हो जाता है।

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रेल की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगता?

रेल की पटरियां एक खास आयरन से बनती हैं जिसे "मैंगनीज आयरन" कहा जाता है। इस स्टील में 12% मैंगनीज और 0.8% कार्बन होता है। इस धातु में जंग नहीं लगता क्योंकि इसमें ऑक्सीडेशन का असर नहीं होता।

railway track

पटरियों में खास धातु का क्यों इस्तेमाल होता है?

अगर रेल की पटरियां साधारण लोहे से बनतीं, तो बारिश और नमी के कारण उनमें जंग लगने का खतरा होता और वे कमजोर हो जातीं। इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता और बार-बार उन्हें बदलने की जरूरत पड़ती। इसलिए, रेल की पटरियां मैंगनीज स्टील से बनाई जाती हैं ताकि वे मजबूत और टिकाऊ रहें।

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भारतीय रेल नेटवर्क की खासियत

भारत में रेलवे सबसे बड़ा परिवहन माध्यम है। देश में रेलमार्ग की लंबाई 115,000 किलोमीटर से अधिक है। हर दिन लाखों लोग ट्रेनों से यात्रा करते हैं। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और एशिया में इसका दूसरा स्थान है। भारत में सबसे धीमी गति से चलने वाली ट्रेन मेटुपालयम-ऊटी नीलगिरी पैसेंजर है, जिसकी गति 10 किमी प्रति घंटा है। भारतीय रेलवे की 13,000 से अधिक यात्री ट्रेनें हर दिन 7,000 से ज्यादा स्टेशनों से गुजरती हैं।

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