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चारधाम यात्रा से जुड़े 5 लेटेस्ट अपडेट, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक बढ़ी; VIP दर्शन पर रोक लगे

Chardham Yatra Offline Registration Ban Extended: चारधाम यात्रा को लेकर अभी ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन को लेकर रोक बरकरार रहेगी। अभी भक्तों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के सहारे रहना होगा। भीड़ से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार काम कर रही है। वहीं, मांग उठने लगी है कि वीआईपी दर्शन पर भी रोक लगाई जाए।
09:17 PM May 20, 2024 IST | Parmod chaudhary
चारधाम यात्रा से जुड़े 5 लेटेस्ट अपडेट  ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक बढ़ी  vip दर्शन पर रोक लगे
chardham yatra 2024

Uttarakhand News: चारधाम यात्रा को लेकर अभी भक्तों को इंतजार करना होगा। इसके ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक बरकरार रहेगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में अभी 30 लाख से अधिक लोग पंजीकृत हो चुके हैं। जो मानक सरकार ने तय किए थे, ये संख्या उससे दोगुनी है। अब पहले यात्रा मार्ग और पेयजल, बिजली आदि सुविधाओं का इंतजाम किया जाएगा। बाद में ऑफलाइन अनुमति दी जाएगी।

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अब गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वाले लोगों के लिए पंजीकरण 31 मई तक रोका गया है। भक्तों को यात्रा के लिए वेट करना होगा। इस बाबत उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी आदेश जारी किए हैं। सचिवालय में उन्होंने अधिकारियों को बढ़ती संख्या कंट्रोल करने के लिए टूर ऑपरेटरों को नई एडवाइजरी जारी करने को कहा है। अभी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जारी रहेंगे। सीएम ने यात्रा को लेकर सभी सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली है। उन्होंने कहा कि हर यात्री को अतिथि माना जाए, सुनिश्चित किया जाए कि उसे किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

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यह भी पढ़ें:‘चार धाम पर रील्स बनाई तो जाएंगे जेल…’ उत्तराखंड में यात्रा को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

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हर साल यात्री बढ़ रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश में में भी रजिस्ट्रेशन को बंद कर दिया गया है। पहले यह रोक सिर्फ 19 मई तक थी। फिलहाल 30 लाख से अधिक लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। सीएम ने कहा कि ये भी जानकारी मिली थी कि कुछ लोग बिना अनुमति यात्रा में आ रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए पुलिस और पर्यटन विभाग मिलकर योजना तैयार कर रहे हैं। यात्रियों को रील्स के जरिए हर धाम के बारे में सटीक जानकारी दी जा रही है। पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि लोगों की सुरक्षा में अनुशासन का ध्यान रखा जाए। यात्रियों के साथ अमर्यादित व्यवहार नहीं होना चाहिए। अगर कोई शिकायत मिली, तो गंभीरता से निपटा जाएगा। यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है। केवल 45 प्रतिशत लोग केदारनाथ गए हैं।

55 फीसदी भक्त नहीं गए केदारनाथ

55 फीसदी लोग गंगोत्री, बद्रीनाथ और यमुनोत्री धामों के लिए दर्शन करने गए हैं। भक्त भोलेनाथ के नारे लगाते हुए लगभग 15 किलोमीटर पर्वतीय इलाके से गुजरते देखे जा सकते हैं। माना जा रहा है कि अब तक साढ़े 6 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इनमें से अकेले 2 लाख 82 हजार लोग केदारनाथ आए हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री में भक्तों के लिए फ्री भोजन और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। यात्रियों ने भी सरकार की अच्छे प्रबंध करने पर सराहना की है। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सुविधाओं का जायजा लेने के लिए फील्ड में उतर रहे हैं। यमुनोत्री धाम के बड़कोट के यात्रा रूट उन्होंने खुद लोगों से फीडबैक लिया है। यात्रियों ने प्रबंधों पर संतुष्टि जाहिर की है।

वीआईपी दर्शनों का विरोध

विश्व विख्यात केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ मंदिर के वीआईपी गेट पर कुछ देर धरना देकर वीआईपी दर्शन का विरोध किया। इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों ने मंदिर समिति के विरोध में नारेबाजी भी की। साथ ही मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा। तीर्थ पुरोहितों का कहना था कि मंदिर में वीआईपी दर्शन बंद होने चाहिए। वीआईपी दर्शन के कारण लाइन में लगे भक्तों को घंटों तक दर्शन नहीं हो पाते हैं। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि मंदिर समिति अपने लाभ के चक्कर में शासन के निर्देशों की अहवेलना कर रही है। जब शासन ने वीआईपी दर्शन पर रोक लगाई है, तो मंदिर समिति जबरन दर्शन क्यों करवा रही है।

पैदल ट्रैक पर कहीं खाने-पीने की सुविधा नहीं

अमित रतूड़ी, रुद्रनाथ-देश और विदेश के यात्री कपाट खुलने के बाद श्री रुद्रनाथ जी के दर्शनों के लिए आ रहे हैं। रुद्रनाथ जी का 21 किलोमीटर का कठिन पैदल ट्रैक है और पूरे रास्ते में कहीं भी यात्रियों को रात्रि विश्राम व खाने-पीने की कोई भी व्यवस्था नहीं मिल रही है। ऐसे में रात को जब यात्री परेशान हो गए और अपने आपको जंगली जानवरों से असुरक्षित महसूस करने लगे। तब यात्रियों ने यात्रा रूट की व्यवस्थाओं को लेकर वीडियो बना सोशल मीडिया पर वायरल किया। 18 मई को चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ जी के कपाट खुले और 21 किलोमीटर के ट्रैक पर स्थानीय लोगों के माध्यम से रोजी रोटी के लिए ढाबा, टेंट व यात्रियों के लिय छप्पर बनाए गए थे। लेकिन यात्रा खुलते ही केदारनाथ वनप्रभाग के अधिकारियों ने सबको हटा दिया।

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