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एयर फोर्स के कैप्टन को 58 साल बाद मिला इंसाफ, कोर्ट ने दिया ये आदेश

Dehradun News: एक नौसेना अधिकारी ने अपनी आलीशान संपत्ति पर फिर से कब्जा पा लिया है। नौसेना के कैप्टन मृदुल शाह को रोज बैंक कॉटेज विरासत में मिला था। इसको उन्होंने रिटायर्ड वायुसेना अधिकारी की पत्नी नीलम सिंह को किराए पर दिया था।
07:19 AM Oct 20, 2024 IST | Shabnaz
एयर फोर्स के कैप्टन को 58 साल बाद मिला इंसाफ  कोर्ट ने दिया ये आदेश

Dehradun News: नौसेना में कैप्टन मृदुल शाह को अपने घर पर मालिकाना हक मिल गया है। ये मामला 1960 में शुरू हुआ, जब मृदुल शाह (53) को रोज बैंक कॉटेज विरासत में दिया गया। जिसको रिटायर्ड वायुसेना अधिकारी की पत्नी नीलम सिंह के परिवार को 100 रुपये महीना किराए पर दे दिया गया। तब से अब तक ये इस संपत्ति पर नीलम के परिवार का कब्जा था। 58 साल का कोर्ट के फैसले के बाद मृदुल शाह को अपने घर पर कब्जा मिला है।

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कब शुरू हुआ मामला?

नौसेना के कैप्टन मृदुल शाह (53) को रोज बैंक कॉटेज को नीलम सिंह के परिवार को 1960 के दशक में दिया था। जिसके लिए हर महीने नीलम का परिवार 100 रुपये महीना देता था। इसके बाद मृदुल शाह ने 2016 में किराएदार से संपत्ति को खाली करने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि नौसेना में 23 साल की सर्विस के बाद उन्हें अपने परिवार के लिए घर की जरूरत है। किराएदार से घर खाली कराने की इस लड़ाई में शाह ने 2017 में सिविल केस जीता, लेकिन नीलम सिंह ने नैनीताल सत्र न्यायालय में फैसले को चुनौती दी।

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कोर्ट का फैसला क्या?

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नौसेना अधिकारी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील नीरज शाह ने बताया, रोज बैंक कॉटेज को 1966 में हरपाल सिंह को किराए पर दिया गया था। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी और बेटी वहीं पर रहीं। अपनी मां की मौत के बाद बेटी नीलम किराएदार बन गई। मृदुल ने कोर्ट को बताया कि इस संपत्ति के अलावा उनके पास कोई और घर नहीं है। उन्होंने कहा, मैंने कई पदों पर काम किया है और मैं अपने परिवार को हर समय अपने साथ नहीं रख सकता। मुझे इस घर की जरूरत है ताकि मेरा परिवार एक जगह पर रह सके।

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नीलम ने याचिका में तर्क दिया कि नौसेना अपने कर्मियों के लिए आवासीय सुविधाएं देती है। मेरे परिवार को संपत्ति पर रहने की ज्यादा जरूरत है। दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने मृदुल के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति के मालिक को अपनी विरासत का जैसे चाहे इस्तेमाल करने का अधिकार है। किराएदार यह तय नहीं कर सकता कि संपत्ति का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए।

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