छोटी-सी चूक से 10 जिंदगियां खत्म; बच सकती थी जान लेकिन...झांसी अग्निकांड के 2 चौंकाने वाले सच
Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बीती रात हुए अग्निकांड में 10 बच्चों जिंदा जलकर मर गए, लेकिन इनकी जान बचाई जा सकती है। अस्पताल की लापरवाही और चूक ने उन्हें दुनिया में आते ही मौत की नींद सुला दिया। ADG जोन कानपुर आलोक सिंह ने मीडिया को ब्रीफ करते हुए बताया कि चिल्ड्रन वार्ड में आग इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग धधकते हुए सिलेंडरों तक पहुंची और वे फट गए।
#WATCH | Jhansi Medical College Fire tragedy | UP Deputy CM Brajesh Pathak says, " In February, the fire safety audit was done. In June, a mock drill was also done. How this incident happened and why it happened, we can only say something about it once the probe report comes...7… pic.twitter.com/KTQe1Y5Sc3
— ANI (@ANI) November 16, 2024
फायर अलार्म और सुरक्षा उपकरण खराब थे
जैसे ही सिलेंडर फटे, वार्ड में आग भड़क गई, लेकिन आग लगने का पता अस्पताल स्टाफ को नहीं चला, क्योंकि अस्पताल में लगे फायर अलार्म नहीं बजे। लोगों ने धुंआ निकलते देखा तो शोर मचा। स्टाफ और लोग वार्ड की तरफ भागे। तब तक आग विकराल रूप ले चुकी थी, जिसे देखकर कोई अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। आग बुझाने के उपकरण भी खराब थे, इसलिए वे भी काम नहीं आ सके। फायर ब्रिगेड के आने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
#WATCH | UP: The newborns who were rescued after a massive fire outbreak at the Neonatal intensive care unit (NICU) of Jhansi Medical College, undergo treatment
(Visual of the rescued newborns blurred)
The fire claimed the lives of 10 newborns pic.twitter.com/OdRdoPFZGZ
— ANI (@ANI) November 16, 2024
एक गेट के कारण बचाए नहीं जा सके बच्चे
बच्चों की मौत होने की दूसरी वजह चिल्ड्रन वार्ड में एक ही गेट होना भी रही। अगर दूसरा गेट होता तो वहां से वार्ड में ज्यादा लोग घुस पाते। ज्यादा बच्चों को बाहर निकाला जा सकता था, लेकिन एक गेट के कारण एक-एक करके फायर कर्मी अंदर गए और एक बार में 2 या 3 बच्चे ही बाहर लाए जा सके। खिड़कियां तोड़कर बच्चों को निकालना पड़ा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नन्ही जानें दम तोड़ चुकी थीं, ऐसे में 10 जिंदगियों के खत्म होने और बाकी की जान को खतरा होने के लिए अस्पताल को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया जाता है। अस्पताल के प्राचार्य और डॉक्टर तो अब फोन भी नहीं उठा रहे हैं।
CM योगी के निर्देश पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जी एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य झाँसी रवाना....
CM योगी द्वारा झांसी कमिश्नर एवं DIG द्वारा घटना/ हादसे की जाँच कर 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश... https://t.co/YRmcsFuCaU pic.twitter.com/cinEBenR0W
— आदित्य तिवारी / Aditya Tiwari (@aditytiwarilive) November 15, 2024