यूपी में 15 सालों के सियासी आंकड़े, कभी बीजेपी का रहा था कांग्रेस जैसा हाल
UP Lok Sabha Election 2024 : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। पहले चरण की वोटिंग के लिए दो सप्ताह से कम समय बचे हैं। इस वक्त दलों की निगाहें उत्तर प्रदेश की उन आठ सीटों पर टिकी हैं, जहां 19 अप्रैल को मतदान होना है। कभी इन सीटों पर भाजपा का कांग्रेस जैसा हाल रहा था। आइए जानते हैं कि पिछले तीन लोकसभा चुनावों में इन 8 सीटों पर किन पार्टियों का रहा दबदबा।
यूपी में सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत सीटों पर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। साल 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो इन आठ सीटों में आधे पर भाजपा का कब्जा है तो आधे में बाकी पार्टियां हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में 4 सीटें हैं, जबकि बसपा के 3 और सपा के एक सांसद हैं। उपचुनाव में भाजपा ने आजम खान के गढ़ में सेंध लगाई और बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी ने रामपुर में जीत हासिल की थी।
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2019 में कांग्रेस-आरएलडी का नहीं खुला था खाता
साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस और आरएलडी का खाता तक नहीं खुला था। बसपा और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिससे फायदा गठबंधन मिला था। साथ ही आरएलडी का भी सपोर्ट था। इस बार समीकरण एकदम उल्टा है। इन सभी आठ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, क्योंकि बसपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार दिए हैं।
2014 में भाजपा ने किया था क्लीन स्वीप
अगर 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था। भाजपा ने सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। उस वक्त यूपी की 80 सीटों में से 73 पर बीजेपी का कब्जा था। उस वक्त किसी पार्टी का खाता नहीं खुला था।
2009 में भाजपा को एक सीट पर करना पड़ा था संतोष
2009 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो 8 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें बसपा ने हासिल की थीं। दूसरे नंबर पर सपा थी। बसपा को 3 सीटों और सपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस, भाजपा और रालोद को एक-एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव में भाजपा का हाल कांग्रेस जैसा रहा था।
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इस बार चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा
इस बार उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है, जबकि भाजपा के साथ रालोद है। पश्चिमी यूपी में रालोद की अच्छी पकड़ है। ऐसे में रालोद के सहारे भाजपा इन आठ सीटों पर एक बार फिर कब्जा करना चाहती है। वहीं, बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है। अगर प्रत्याशियों पर नजर डालें तो बसपा सभी 8 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। एनडीए के तहत भाजपा ने 7 सीट और रालोद ने एक सीट पर दांव लगाया है। महागठबंधन के तहत कांग्रेस के पाले में एक और सपा के पाले में 7 सीटें आई हैं। अब देखना है कि जनता किस पार्टी को अपना बहुमत देगी।