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सपा के लिए बेहद खास है बदायूं, यादव परिवार के लाडले ठोकेंगे ताल; जानें क्या है समीकरण

Badaun Lok Sabha Election: मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने अपने बेटे आदित्य को बदायूं सीट से चुनावी मैदान में उतरा है। पिछले लोकसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने इस सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने सपा के धर्मेंद्र यादव को 18,454 वोटों से हराकर अपना परचम लहराया था।
06:00 AM Apr 28, 2024 IST | Gaurav Pandey
सपा के लिए बेहद खास है बदायूं  यादव परिवार के लाडले ठोकेंगे ताल  जानें क्या है समीकरण
बदायूं से सपा उम्मीदवार आदित्य यादव

UP Lok Sabha Chunav 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 चरणों में से अब तक दो चरण का मतदान हो चुका है। तीसरे चरण के लिए 7 मई को वोटिंग होगी। इस चुनावों में पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के परिवार के पांच सदस्य इस लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

कन्नौज से खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा मैनपुरी से उनकी उनकी पत्नी डिंपल यादव, आजमगढ़ से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, बदायूं से आदित्य यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव मैदान में हैं।

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में यूपी की दस लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। इसमें से तीन पर यादव कुनबे के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं। डिंपल यादव, आदित्य यादव और अक्षय यादव को भाजपा और बसपा से पार पाना होगा। इस सीटों पर सभी पार्टियां जमकर पसीना बहा रही हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं बदायूं लोकसभा सीट की, जहां से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव का मुकाबला भाजपा के दुर्विजय सिंह शाक्य और बसपा के मुस्लिम खां से है।

बदायूं से शिवपाल के लाडले

मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने अपने बेटे आदित्य को बदायूं सीट से चुनावी मैदान में उतरा है। बदायूं में समाजवादी पार्टी ने पहले धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था, लेकिन बाद में इस सीट से आदित्य यादव के चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में धर्मेंद्र को यहां से हार का सामना करना पड़ा था।

कैसी होगी आदित्य की राह?

बता दें कि इस सीट पर यादवों और मुसलमानों की संख्या अधिक है, जिससे इस सीट को आदित्य के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। हालांकि, शिवपाल के लाडले की राह इतनी भी आसान नहीं है। आदित्य का मुकाबला पहली बार भाजपा के उम्मीदवार दुर्विजय सिंह शाक्य से होगा, जो यूपी में पार्टी की ब्रज इकाई के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं।

18 साल रहाॉ सपा का कब्जा

2019 में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने इस सीट से चुनाव जीता था। उन्होंने धर्मेंद्र यादव को 18,454 वोटों से हराकर अपना परचम लहराया था। इस सीट पर 18 साल तक समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद भी ये सीट सपा के खाते में चली गई थी। यहां से धर्मेंद्र यादव को 48 फीसद वोट मिले थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 32 फीसद वोट मिले।

बदायूं के मतदाताओं का गणित

अगर बात करें जातीय समीकरण की तो यहां पर यादव और मुसलमान वोटर्स का वर्चस्व है। दोनों को मिलाकर 30 फीसदी वोटर्स हैं। बदायूं की बात करें तो यहां चार लाख से अधिक यादव मतदाता हैं, जबकि लगभग चार लाख के करीब मुस्लिम वोटर्स भी हैं। इसके अलावा दो लाख मौर्य, ढाई लाख दलित मतदाता हैं। अगर इस बार यादव और मुसलमान वोटर्स सपा को वोट करते हैं तो भाजपा के लिए 2024 की राह आसान नहीं होगी।

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