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Uttar Pradesh Election Result: UP में क्यों जीरो पर सिमटी BSP? मायावती की हार के 5 कारण

Uttar Pradesh Lok sabha Election Results: उत्तर प्रदेश में चौंकाने वाले नतीजे जनता ने दिए हैं। किसी समय में यहां बहुजन समाज पार्टी की तूती बोलती थी। लेकिन इस बार पार्टी का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी है। पार्टी का मूल वोट बैंक खिसक चुका है। जिसका फायदा इंडिया ब्लॉक को हुआ।
02:39 PM Jun 04, 2024 IST | Parmod chaudhary
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Uttar Pradesh Lok sabha Election 2024 Result

Uttar Pradesh Lok sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में एग्जिट पोल्स ने जो आंकड़े दिए थे। वे पूरी तरफ फेल निकले हैं। इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन यूपी में मायावती की पार्टी बेहद कमजोर साबित हुई है। पार्टी को एक भी सीट चुनाव में नहीं मिली है। रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को 7, सपा को 34 और बीजेपी को 35 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं, दूसरे दलों को 4 सीटें मिलने का अनुमान है। एक जमाने में उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश में मौजूदगी का अहसास करवाने वाली बसपा का प्रदर्शन यूपी में सबको चौंका रहा है। पार्टी की दुर्गति के पीछे कई सवाल उठ रहे हैं। 2019 में बहुजन समाज पार्टी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार एक भी सीट नहीं मिली।

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माना जा रहा है कि बसपा का अकेले लड़ना उसको महंगा साबित हुआ। एग्जिट पोल्स में भी सामने आया था कि बसपा कमजोर साबित होगी। देश के एग्जिट पोल्स भले ही फेल साबित हुए हैं। लेकिन यूपी में बसपा को लेकर एग्जिट पोल्स सही साबित माने जा रहे हैं। एग्जिट पोल्स के मुताबिक एनडीए को 350 से 400 सीटें तक दी गई थीं। लेकिन ताजा रिपोर्ट में एनडीए को 293 और इंडिया ब्लॉक को 224 सीटें मिलती दिख रही हैं। एनडीए 300 पार भी नहीं जा रहा। ऐसा रुझान देखने को मिल रहा है।

मायावती ने कहा था-अकेले लड़ेंगे

चुनाव से पहले मायावती ने साफ किया था कि वे किसी के साथ मिलकर नहीं लड़ेंगी। माना जा रहा है कि यह फैसला बीएसपी के लिए घातक सिद्ध हुआ है। 2019 में पार्टी ने अखिलेश के साथ चुनाव लड़ा था। जो कुछ हद तक कारगर रहा। दोनों ने 15 सीटें जीती थीं। लेकिन इसके बाद मायावती की वर्करों से दूरी हार का दूसरा कारण मानी जा रही है। तीसरा कारण पार्टी का बूथ लेवल पर कमजोर होना है। दलित वोट बैंक का लगातार दूसरे दलों में छिटकना हार का चौथा कारण है। मुस्लिम वोटरों को साथ जोड़कर न रखा पाना हार का 5वां कारण माना जा रहा है।

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बसपा मानकर चल रही थी कि दलित उसी के साथ रहेंगे। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 13 फीसदी वोट हासिल किए थे। मुस्लिमों और दलितों का साथ उसे मिला था। लेकिन अब लग रहा है कि मुस्लिम और दलित वोट मायावती से छिटककर कांग्रेस और सपा के साथ चले गए। उनका नुकसान बीजेपी को भी हुआ। इससे सपा को 5 और कांग्रेस को 3 सीटों का फायदा विश्लेषक मानकर चल रहे हैं।

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