whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

CM योगी के खिलाफ केशव मौर्या की पिच कमजोर क्यों? देने होंगे कई सवालों के जवाब

Yogi Adityanath News: केशव मौर्या भले ही योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर बयानबाजी कर रहे हों, लेकिन खुद उन्हें कई सवालों के जवाब देने हैं।
02:12 PM Jul 18, 2024 IST | News24 हिंदी
cm योगी के खिलाफ केशव मौर्या की पिच कमजोर क्यों  देने होंगे कई सवालों के जवाब
सीएम योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या | फाइल फोटो

Yogi Adityanath Vs Keshav Maurya: उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्या ने भले ही सरकार से बड़ा संगठन होता है, कहकर पार्टी के भीतर हड़कंप मचा दिया हो। लेकिन खुद केशव मौर्या कमजोर पिच पर खड़े हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने भले ही उपचुनाव के बाद योगी मंत्रिमंडल और संगठन में बदलाव कह रहा हो, लेकिन जब केंद्रीय नेतृत्व एक्शन लेगा, तो केशव प्रसाद मौर्या के लिए अपनी गर्दन बचा पाना आसान नहीं होगा। आखिर केशव मौर्या खुद को संगठन का ही तो आदमी बता रहे हैं। तभी तो वह कह रहे हैं कि कार्यकर्ता का दर्द मेरा दर्द है। 7, कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला रहता है।

ये भी पढ़ेंः अयोध्या में CM योगी का फिर इम्तिहान, एक सीट जीतने के लिए 4 मंत्री मोर्चे पर डटे, ये है पूरा प्लान

कमजोर पिच पर खड़े हैं केशव प्रसाद मौर्या

यूपी में लोकसभा की कौशांबी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ सीटें केशव प्रसाद मौर्या के प्रभाव वाली सीटें मानी जाती हैं। इन तीनों जिलों में मौर्या का प्रभाव माना जाता है। लेकिन 2024 चुनाव में बीजेपी इन तीनों सीटों पर हारी है। यही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव खुद अपनी सीट सिराथु हार गए थे। कौशांबी जिले की सभी 5 सीटों पर भाजपा की हार हुई थी। तीन पर सपा और दो पर राजा भैया की पार्टी जीती। अब जब लोकसभा चुनाव में केशव मौर्या के इलाके में पार्टी की हार हुई है तो डिप्टी सीएम मौर्या इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराएंगे?

ये भी पढ़ेंः अयोध्या में CM योगी का फिर इम्तिहान, एक सीट जीतने के लिए 4 मंत्री मोर्चे पर डटे, ये है पूरा प्लान

CM योगी संग सहज नहीं हैं रिश्ते

2017 विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या के रिश्ते सहज नहीं हैं। केशव प्रसाद मौर्या एक समय यूपी में सीएम पद की दौड़ में थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। उसके बाद से ही केशव प्रसाद मौर्या और योगी के रिश्ते सहज नहीं हैं। केशव मौर्या खुद को संगठन का आदमी बताते रहे हैं। 2022 में सिराथु से हार के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया। अब जबकि केशव प्रसाद मौर्या संगठन की बात कर रहे हैं, उन्हें जवाब देना होगा कि आखिर उनके प्रभाव वाले इलाके में बीजेपी कैसे हार गई?

सवाल तो ये भी है कि जिस पिछड़े वर्ग के नाम पर केशव मौर्या राजनीति करते हैं, उन्हीं केशव मौर्या की पार्टी से पिछड़ा समाज दूर कैसे हो गया। आखिर 2017 में जब बीजेपी 14 साल बाद यूपी में जीती तो केशव मौर्या को इसका श्रेय मिला कि वे पिछड़ा समाज को बीजेपी के साथ जोड़ने में सफल रहे, लेकिन 2024 में ऐसा नहीं हुआ। तो क्या पिछड़ा समाज का केशव मौर्या से मोहभंग हो गया है। केशव प्रसाद मौर्या को कई सवालों के जवाब देने होंगे।

Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो