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25 साल के युवा ने बिना दिल के काटे 555 दिन; क्या रहा कारण और कैसे मैनेज किया? हैरान कर देगा मामला

Man lived 555 Days without Heart Stan Larkin: अमेरिका के मिशिगन में एक शख्स बिना दिल के 555 दिनों तक जिंदा रहा। आखिर ये कैसे मुमकिन हो सकता है? सीने में दिल ना धड़के और सांसें चलती रहें, वो भी 555 दिन तक? आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
09:25 AM Jul 14, 2024 IST | Sakshi Pandey
25 साल के युवा ने बिना दिल के काटे 555 दिन  क्या रहा कारण और कैसे मैनेज किया  हैरान कर देगा मामला

Man lived 555 Days without Heart: जिंदा रहने के लिए सीने में दिल का धड़कना बेहद जरूरी होता है। दिल की धड़कन बंद होते ही लोग इस दुनिया को अलविदा कह देते हैं। मगर क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक शख्स के सीने में दिल ही ना हो और फिर भी वो 555 दिनों तक जिंदा रहे। जी हां, अमेरिका के मिशिगन से ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां बिना दिल के स्टॉन लार्किन नामक शख्स ने 555 दिन गुजार दिए। लार्किन बिल्कुल आम लोगों जैसी जिंदगी जीते थे और उन्हें देखकर ये कह पाना नामुमकिन था कि लार्किन के पास दिल नहीं है। आखिर ये कैसे संभव हुआ?

आर्टिफिशियल दिल 

दरअसल लार्किन के सीने में एक आर्टिफिशियल दिल मौजूद था। ये एक ग्रे बैग जैसा दिखता था, जिसमें से पाइप निकली थीं। यही ग्रे बैग लार्किन के लिए दिल का काम करता था। इस आर्टिफिशियल दिल के साथ लार्किन आम लोगों की तरह जिंदगी का लुत्फ उठा रहे थे। उन्हें अपने भाई के साथ घूमना बहुत पसंद था। बता दें कि 2014 में लार्किन के असली दिल को आर्टिफिशियल हार्ट से बदल दिया गया था। जिससे वो अस्पताल की बजाए घर पर रह सकें। लार्किन की हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी होनी थी। मगर कुछ वजहों से डॉक्टरों को 555 दिन इंतजार करना पड़ा और तब तक लार्किन आर्टिफिशियल दिल के साथ ही जिंदा रहे। ये अब तक के इतिहास में सबसे लंबा समय है जब किसी व्यक्ति आर्टिफिशियल दिल के साथ जिंदगी के डेढ़ साल गुजार दिए।

Stan Larkin Heart Transplant

2016 में हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट

लार्किन के अनुसार कई लोगों को इतने लंबे समय तक आर्टिफिशियल दिल लेकर घूमने में डर लगता है। मगर आपको उसी डर से जीतना है। 2016 में जब मेरा हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ तो मैं जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज हो गया। इसकी वजह थी नकली दिल, जिसकी मदद से मैं बिल्कुल स्वास्थ्य था। नकली दिल के साथ जिंदा रहना आखिर कैसा होता है? इस बारे में बात करते हुए लार्किन कहते हैं कि ये सिर्फ एक बैग था, जिसमें से ट्यूब निकली थीं। ये बिल्कुल एक असली दिल जैसा लगता था। मुझे लगता था मैं किताबों से भरा एक स्कूल बैग लेकर घूम रहा हूं। मई 2016 में यूनिवर्सिटि ऑफ मिशिगन फ्रैंकल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर में लार्किन का हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ।

2007 में हुई दिल की बीमारी

2007 में बास्केट बॉल खेलते समय लार्किन को अपनी दिल की बीमारी के बारे में पता चला। ये एक आनुवंशिक रोग है। दुर्भाग्यवश लार्किन के 24 वर्षीय भाई को भी इसी बीमारी से जूझना पड़ा था। इस बीमारी में दिल की नसों में खिंचाव महसूस होता है और खून का सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता है।

लार्किन को हई थी हैरानी

हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले लार्किन को 6 हफ्तों तक अस्पताल में रहना पड़ा था। लार्किन के अनुसार मुझे ये सुनकर काफी हैरानी हुई जब डॉक्टर्स ने मुझसे कहा कि आप बिना दिल के भी जिंदा रह सकते हैं। मेरे शरीर में दिल की जगह एक मशीन फिट की जाएगी। मैंने सोचा एक मशीन मुझे इतने दिनों तक जिंदा रखेगी। मगर ये सच साबित हुआ और अब मैं बिल्कुल ठीक हूं।

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