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अब चांद पर भी मिलेगा 4G नेटवर्क! नासा ने मिलाया नोकिया से हाथ; जानिए पूरा प्लान

4G On Moon : धरती पर हम इस समय 5जी नेटवर्क का मजा ले रहे हैं। इससे पहले आए 4जी ने मोबाइल इंटरनेट और कॉलिंग में क्रांति लाने का काम किया था। अब ये क्रांति चांद पर पहुंचने वाली है और यह काम नोकिया करने जा रही है।
09:09 PM Aug 28, 2024 IST | Gaurav Pandey
अब चांद पर भी मिलेगा 4g नेटवर्क  नासा ने मिलाया नोकिया से हाथ  जानिए पूरा प्लान
Nokia Going To The Moon (www.nokia.com)

Nokia Going To Moon With NASA : एक समय में फोन इंडस्ट्री में एकछत्र राज करने वाली कंपनी नोकिया अब नासा के साथ चांद पर जाने वाली है। कभी फोन का पर्यायवाची रही यह कंपनी चांद पर 4जी नेटवर्क इंस्टॉल करेगी ताकि एस्ट्रोनॉट एक दूसरे के साथ और धरती पर मौजूद अपने कंट्रोलर्स के साथ आसानी से बातचीत कर सकें।

आइकॉनिक फोन ब्रांड नोकिया ने चांद पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नेक्स्ट जेनरेशन स्पेससूट्स में 4G LITE क्षमताएं इंटीग्रेट करने के लिए एक्जियोम स्पेस के साथ पार्टनरशिप की है। इन स्पेससूट्स को एक्जियोम ने प्राडा के साथ कोलैबोरेट किया है। इन स्पेशल स्पेससूट्स को नासा के आर्टेमिस-3 मिशन के एस्ट्रोनॉट पहनेंगे और चांद की सतह को छुएंगे।

नए सूट बदलेंगे कम्युनिकेशन का तरीका!

इन सूट्स की मदद से वह रियल टाइम एचडी वीडियोज सेंड कर सकेंगे। वॉइस कम्युनिकेशंस और चांद पर डेटा का आदान-प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी। इसके साथ ही इन सूट्स का इस्तेमाल ग्राउंड कंट्रोलर्स के साथ पहले से अधिक स्पष्ट और तेज कम्युनिकेशन करने में भी किया जा सकेगा। ये सूट स्पेस एक्सप्लोरेशन की तस्वीर बदल सकते हैं।

नोकिया और एक्जियोम की प्लानिंग क्या?

नोकिया और एक्जियोम का प्लान आर्टेमिल-3 के एस्ट्रोनॉट्स को मिशन के दौरान नेटवर्क कनेक्टिविटी से लैस करना है। सितंबर 2026 में इसकी शुरुआत होनी है। पिछले 50 साल में चांद के लिए यह पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें इंसान चांद की सतह पर चहलकदमी करेंगे। अगर प्लान सफल रहा तो इस तकनीक का इस्तेमाल मंगल पर भी किया जाएगा।

चांद पर इस तरह काम करेगा 4G नेटवर्क

चांद पर 4जी नेटवर्क के लिए वहां एक एलटीई बेस स्टेशन की जरूरत होगी जो आर्टेमिस लैंडिंग मॉड्यूल पर लगा होगा। इसी की मदद से एस्ट्रोनॉट्स अपने स्पेससूट्स के जरिए एक दूसरे से बात कर पाएंगे। बता दें कि नासा के टिपिंग पॉइंट प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर यह कॉन्ट्रैक्ट 2022 में मिला था। इसका लक्ष्य नई स्पेस टेक्नोलॉजीज को रफ्तार देना है।

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