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History: मौत सामने थी, वो हाथ जोड़ गिड़गिड़ा रही थीं...61 छात्राएं जिंदा जलीं, श्रीलंका में हुए नरसंहार की आपबीती

Today History in Hindi: श्रीलंका में आज के दिन भीषण नरसंहार हुआ था। एयरफोर्स की बमबारी में 61 स्कूली छात्राएं मारी गई थीं। भारत समेत पूरी दुनिया ने एयरफोर्स और सरकार की एक ट्रेनिंग सेंटर पर कार्रवाई को अमानवीय बताया था। आइए जानते हैं कि क्या हुआ था और क्यों?
09:27 AM Aug 14, 2024 IST | Khushbu Goyal
history  मौत सामने थी  वो हाथ जोड़ गिड़गिड़ा रही थीं   61 छात्राएं जिंदा जलीं  श्रीलंका में हुए नरसंहार की आपबीती
Sri Lanka Chencholai Bombing Victims

Sri Lanka Chencholai Bombing 2006 Memoir: आज के दिन का इतिहास उस नरसंहार से जुड़ा था, जिसमें 61 लड़कियों जिंदा जलकर मर गई थीं। 14 अगस्त 2006 को श्रीलंका में हुए चेन्चोलाई बम विस्फोट की यादें आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। खासकर उन लड़कियों के परिजनों के लिए आज का दिन नासूर है, जिनकी बेटियां उस नरसंहार की भेंट चढ़ी थीं। 14 अगस्त श्रीलंका की वायु सेना ने विद्रोही लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के एक ट्रेनिंग सेंटर पर बम बरसाए थे। इस ट्रेनिंग में लड़कियां प्रशिक्षण ले रही थीं, जो 16 से 18 वर्ष की थीं।

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वहीं बमबारी में 61 लड़कियों की मौत हुई थी। हमले में बचे लोगों ने जब मौके पर देखे गए खौफनाक मंजर के बारे में बताया तो वे फूट-फूट कर रोने लगे थे। एक लड़की ने अपनी सहेलियों को अपनी आंखों के सामने जिंदा जलते देखा। उसने मीडिया का भी बताया था कि वह उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकी। LTTE, यूनिसेफ, श्रीलंका मॉनिटरिंग मिशन ने दावा किया था कि सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे लोग LTTE कैडर नहीं थे। आइए जानते हैं कि नरसंहार कब-कैसे और किस तरह किया गया था?

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3 लड़कियों के बयान पर सरकार दोषमुक्त हुई

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 14 अगस्त 2006 को सुबह करीब 7.30 बजे श्रीलंका की वायुसेना ने जंगल में बने ट्रेनिंग सेंटर पर बमबारी की। इसमें करीब 60 लड़कियां और 2 कर्मचारी मारे गए। 130 स्टूडेंट्स गंभीर रूप से घायल हुए। घायल लड़कियों में से 3 ने एक पैर खो दिया था। एक लड़की ने एक आंख खोई थी। 1 सितंबर 2006 को श्रीलंका पुलिस ने 3 युवतियों को गिरफ़्तार किया है, जो हवाई हमले में घायल हो गई थीं। उस समय के पुलिस महानिरीक्षक चंद्रा फर्नांडो के अनुसार, बमबारी में घायल युवतियों ने दावा किया था कि उन्हें तमिल टाइगर्स का एक मेंबर फर्स्ट ऐड ट्रेनिंग देने के लिए एक शिविर में ले गया था, लेकिन जब वे शिविर में पहुंचीं तो उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया।

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पहले श्रीलंका सरकार ने किसी तरह की जांच के आदेश देने से इनकार किया। फिर इंटरनेशनल लेवल से दबाव पड़ने के बाद न्यायमूर्ति उदलगामा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया। 16 हाई-प्रोफाइल मानवाधिकार मामलों की जांच होनी थी, लेकिन आयोग केवल 7 मामलों को ही पूरा कर सका। फिर इसे भंग कर दिया गया तथा सरकार को दोषमुक्त कर दिया गया। गिरफ्तार की गई तीनों लड़कियों के बयानों के आधार पर सरकार को दोषमुक्त किया गया। इनमें से एक आयोग के सामने आई थी। दूसरी ने अस्पताल में बयान दिए थे। तीसरी लड़की की मौत हो गई थी।

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पूरी दुनिया ने इस तरह की थी नरसंहार की निंदा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नरसंहार के बाद दुनियाभर से निंदा झेलने के बाद उस समय की श्रीलंका सरकार ने दावा किया था कि वह साल 2004 से इस ट्रेनिंग सेंटर की रेकी करा रही थी। यह एक प्रशिक्षण शिविर था और इसमें आतंकी तैयार किए जा रहे थे, जबकि नरसंहार के विरोध में भारत में तमिलनाडु की राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करके चेन्चोलाई अनाथालय बम विस्फोट को असभ्य, बर्बर, अमानवीय और नृशंस करार दिया था।

मानवाधिकार संगठन यूनिवर्सिटी टीचर्स फॉर ह्यूमन राइट्स (जाफना) ने भी कहा था कि LTTE ने फर्स्ट एड ट्रेनिंग कैंप लगाया था, जिसके लिए ट्रेनिंग सेंटर का इस्तेमाल किया था। इसमें हिस्सा लेने वाले बच्चे बाल सैनिक नहीं थे। तमिल नेशनल अलायंस ने हवाई हमले की निंदा करते हुए इसे क्रूर, अमानवीय नरसंहार करार दिया। हमले को आतंकवाद का एक और उदाहरण बताया। किलिनोच्ची जिले के शिक्षा निदेशक कुरुकुलाराजा और मुल्लातिवु जिले के शिक्षा निदेशक अरियारत्नम ने मृतक लड़कियों के नामों की पुष्टि की थी।

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक वेनमैन ने मृतकों के LTTE कैडर होने का सबूत मांगा था, जो सरकार नहीं दे पाई थी।

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