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इंसानों ने खोद दिया एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा गहरा गड्ढा! क्यों करना पड़ा हमेशा के लिए बंद?

World's Deepest Hole : क्या आप जानते हैं कि धरती का सबसे गहरा गड्ढा कहां है और यह कितना गहरा है? आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसानों द्वारा खोदा गया यह गड्ढा इतना गहरा है कि दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट भी इसमें समा जाएगी और फिर भी इसमें काफी जगह बची रहेगी।
04:58 PM Jul 24, 2024 IST | Gaurav Pandey
इंसानों ने खोद दिया एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा गहरा गड्ढा  क्यों करना पड़ा हमेशा के लिए बंद
Kola Superdeep Borehole SG-3

World's Deepest Man-Made Hole : अगर आपसे धरती के सबसे ऊंचे पॉइंट के बारे में पूछा जाए तो आप तुरंत माउंट एवरेस्ट का नाम लेंगे। लेकिन, अगर सवाल यह हो कि धरती का सबसे गहरे पॉइंट को लेकर हो तो ज्यादातर लोग खामोश हो जाएंगे तो कुछ लोग मारियाना ट्रेंच का नाम लेंगे। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आप भी गलत हैं। दरअसल, इंसान की क्षमताओं के बारे में कितना भी ज्यादा सोच लिया जाए समय के साथ वह लिमिट भी कम ही पड़ जाती है। चाहे चंद्रमा पर पैर रखना हो या मंगल पर स्पेसक्राफ्ट भेजना हो, इंसान की क्षमताओं का अंदाजा लगा पाना नामुमकिन ही है। इसी का एक उदाहरण आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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1960 के दशक में अमेरिका और सोवियत यूनियन की दुश्मनी के बीच दोनों सुपरपावर्स ने अपनी ताकत साबित करने के लिए कई ऐसी टैक्टिक्स अपनाईं थीं जो लीक से कहीं हट कर थीं। स्पेस मिशन भेजने से लेकर धरती के रोटेशन को रोकने की योजनाओं तक, इन दोनों ताकतों की प्रतिस्पर्धा की कोई सीमा नहीं दिख रही थी। यह कॉम्पिटीशन यहीं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आगे जाकर धरती पर सबसे गहरा गड्ढा खोदने में बदल गया। इस अजीब रेस में रूस को फतेह मिली थी लेकिन, इस जीत का जश्न ज्यादा देर तक नहीं चल पाया था। जल्द ही इस गड्ढे को हमेशा-हमेशा के लिए बंद करना पड़ गया था। आइए जानते हैं दुनिया के इस सबसे गहरे गड्ढे की पूरी कहानी।

आखिर कितना गहरा है ये गड्ढा?

इंसानों द्वारा खोदा गया धरती का सबसे गहरे गड्ढे को कोला सुपरडीप बोरहोल एसजी-3 (Kola Superdeep Borehole SG-3) के नाम से जाना जाता है। इसकी गहराई माउंट एवरेस्ट की लंबाई से भी ज्यादा है। बता दें कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848.9 मीटर यानी 8.84 किलोमीटर है। वहीं, इस गड्ढे की गहराई 12,263 मीटर यानी 12.26 किलोमीटर है। इसकी गहराई इतनी है कि माउंट एवरेस्ट और जापान में स्थित माउंट फूजी, दोनों इसमें समा जाएंगे। इस गड्ढे की गहराई समुद्र के सबसे गहरे पॉइंट मारियाना ट्रेंच से भी ज्यादा है। प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना ट्रेंच 11,034 मीटर यानी 11.03 किलोमीटर गहरा है। रूस ने वाकई इसे खोदने में जान लगा दी थी।

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क्यों हुई शुरुआत, क्यों हुआ बंद?

रूस ने यह गड्ढा इसलिए खोदा था ताकि वह धरती के क्रस्ट और मैंटल के बीच छिपे रहस्य उजागर किए जा सकें। धरती का सबसे गहरा गड्ढा खोदने की मुहिम अमेरिका ने प्रोजेक्ट मोहोल के साथ शुरू की थी। लेकिन, राजनीतिक विवादों के चलते इसे बंद करना पड़ गया था। लेकिन, रूस इस काम में तेजी से लगा हुआ था। इस गड्ढे के लिए ड्रिलिंग की शुरुआत रूस ने 24 मई 1970 को की थी। यह काम 1992 तक चला था। इससे कुछ समय पहले ही सोवियत यूनियन छिन्न-भिन्न हो गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार गड्ढे की खुदाई का काम तब रोकना पड़ा जब गड्ढे की सतह का तापमान 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। ऐसे में और ज्यादा ड्रिलिंग करना असंभव हो गया।

खुदाई के दौरान क्या-क्या मिला?

इस वजह से इस गड्ढे को बंद करना पड़ा। साल 2008 में रूस ने ऐलान किया कि इस गड्ढे को या तो नष्ट कर दिया जाएगा या फिर कंक्रीट से भर दिया जाएगा। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार जब रूस ने ड्रिल शुरू की थी तब उन्होंने दावा किया था कि उन्हें साफ पानी का सोर्स मिला है। लेकिन, उनके इस दावे पर अधिकतर वैज्ञानिकों ने भरोसा नहीं किया था। उस समय पश्चिमी वैज्ञानिकों का मानना था कि धरती की सतह से 5 किलोमीटर जाने के बाद क्रस्ट इतना सघन है कि पानी उससे बाहर निकल ही नहीं सकता। लेकिन, रूस को अपने इस मिशन के दौरान ऐसी चट्टानें मिली थीं जिन्होंने पानी अब्जॉर्ब कर लिया था। बाद में इस गड्ढे को नर्क का द्वार भी कहा जाने लगा था।

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