Sam Bahadur Movie Review: गजब एक्टिंग और म्यूजिक के बाद भी फीकी पड़ी Vicky Kaushal की फिल्म, खलेगी ये कमी
Sam Bahadur Movie Review By Ashwani Kumar: विक्की कौशल (Vicky Kaushal) की फिल्म 'सैम बहादुर' (Sam Bahadur) कल यानी 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। मशहूर डायरेक्टर मेघना गुलज़ार ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है और इसकी कहानी मेघना के साथ भावनी और शांतनू ने मिलकर लिखी है। कुछ इंटरव्यूज़, पुराने किस्से और यू-ट्यूब वीडियो के आधार पर इस कहानी को तैयार किया गया है। फिल्म में सैम मॉनेकशॉ के इंडियन मिलिट्री एकेडमी में जाने से लेकर लव स्टोरी और उनके सेकंड वर्ल्ड वॉर में 9 गोलियां खाने और युद्ध में उनकी वीरता के लिए मिले मिलिट्री क्रॉस तक की कहानियां दिखाई गई हैं।
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बायोपिक में नहीं दिखी ये अहम बातें
इस फिल्म में उनके याह्या ख़ान, इंदिरा गांधी और बड़े कांग्रेस के नेताओं के साथ ताल्लुक दिखाए गए हैं। साथ ही 'सैम बहादुर' की वाइफ का इंदिरा गांधी से जलन वाला ट्रैक काफी बढ़िया लग रहा है। लेकिन इस फिल्म में कई कमियां भी देखने मिलीं। सबसे पहले तो सैम के वॉर टेक्निक, उनके इंटेलिजेंस और जंग शुरु होने के पहले उसे कागज़ पर लड़ लेने की शक्ति जैसी खास चीज़ें फिल्म से गायब दिखीं। साथ ही फिल्म में रिटॉयरेमेंट के बाद उनपर लगे आरोपों और देश के पहले फील्ड मार्शल की मौत पर हुई बेकद्री का जिक्र देखने को नही मिला जिसमें असली दर्द उभरकर बाहर आता। दरअसल, ये सब कंट्रोवर्सी क्रिएट कर सकते थे ऐसे में इसे इस फिल्म से बाहर ही रखा गया है।
फिल्म में खली बड़ी कमी
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है ये भी जान लेते हैं। सैम बहादुर के 40 साल के करियर में चार वॉर सीक्वेंस होने थे। इस बायोपिक में हर लड़ाई से पहले का सीन वॉर रूम और मिलिट्री हेडक्वॉर्टर मे दिखाई दे रहा है। लेकिन जब बात वॉर सेक्वेंस की आती है तो लड़ाई एक डॉक्यूमेंट्री के फॉर्मेट में देखने को मिलती है। दरअसल, फिल्म में वॉर की ओरिजिनल ब्लैक एंड व्हाईट डॉक्यूमेंट्री फुटेज बैकग्राउंड स्कोर के साथ दिखाई गई है। यानी कोई आपको फिल्म में ये बड़ी कमी महसूस होने वाली है।
विक्की की एक्टिंग
सैम मॉनेकशॉ की इस बायोपिक में एक्टर विक्की कौशल भी हो सकता है कि आपको इम्प्रेस न कर पाएं। क्योंकि उन्हें देखकर कही न कही आपको भी ऐसा लगेगा कि मानेकशॉ के किरदार में वो देवानंद की एक्टिंग कर रहे हैं। हालांकि, विक्की फील्ड मार्शल मानेकशॉ के किरदार में पूरी तरह बस चुके हैं। वो हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी, पारसी और यहां तक कि उर्दू में भी माहिर थे। कहा जाता है कि देव साहब भी सैम के अंदाज और उनके जुदा से मिजाज़ के फैन हुआ करते थे।
स्टारकास्ट की एक्टिंग
विक्की कौशल ने इस फिल्म के जरिए एक बार फिर खुद को साबित कर दिया है। साथ ही सान्या मल्होत्रा भी 'सिल्लो' के रोल में लाजवाब लग रही हैं। मगर उन्हें स्क्रीन टाइम थोड़ा कम मिला है। वहीं, फातिमा सना शेख ने भी इंदिरा गांधी के किरदार में बेहतरीन अदाकारी दिखाई है। सान्या और फातिमा ने सिल्लो और इंदिरा के बीच बिना मिले जो तकरार दिखाई है वो फिल्म का सबसे मज़ेदार हिस्सा है। नीरज कबी ने जवाहर लाल नेहरू और गोविंद नामदेव ने सरदार वल्लाह भाई पटेल के किरदार में धमाल मचा दिया। ये बात ओर है कि पाक प्रेसीडेंट याह्या खान बने जिशान अपनी छाप छोड़ने में उतने कामयाब नहीं रहे।
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फिल्म का म्यूजिक
इस फिल्म में म्यूजिक की बात करें तो शंकर-एहसान-लॉय के ट्रायो ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। हमेशा की तरह इस बार भी इन्होंने म्यूजिक में जान डाल दी और सभी को इम्प्रेस कर दिया। 'रब का बंदा' और 'बढ़ते चलो' दोनों ऐसे गाने है जिन्हें सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। पहले ही बता दें, अगर आप फिल्म में सैम मानेकशॉ की 1971 की लड़ाई तक ही जानना चाहते हैं तो आपको फिल्म अच्छी लगेगी। लेकिन अगर आप उनकी बाकी सभी कहानियों के बारे में जानते हैं तो आपको इसमें कुछ खास देखने को नहीं मिलने वाला।
सैम बहादुर को 3 स्टार