GOAT की 5 खामियां, जो Thalapathy Vijay के फैंस को कर देंगी निराश
Thalapathy Vijay GOAT: साउथ सुपरस्टार थलापति विजय की फिल्म 'द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम' (GOAT) पिछले महीने 5 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 251.25 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था। हालांकि फिल्म हिंदी भाषा में रिलीज नहीं हुई थी, जिसके चलते नॉर्थ इंडियन फैंस GOAT के हिंदी वर्जन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अब थलापति की ये फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है।
यहां अच्छी बात ये रही कि फिल्म को बिना किसी कट पूरे 3 घंटे के ड्यूरेशन के साथ रिलीज किया गया। नेटफ्लिक्स पर GOAT हिंदी भाषा में रिलीज हुई है। अगर आपने अभी तक थलापति विजय की फिल्म को नहीं देखा है तो आपको बता दें कि GOAT आपको निराश कर सकती है। आइए जानते हैं 5 बड़े कारण...
थलापति का सीक्रेट मिशन
थलापति विजय की फिल्म GOAT की शुरुआत होती है एक्शन सीन से जिसे देखने के बाद आपको एक बार ऋतिक रोशन की फिल्म 'धूम 2' का ट्रेन वाला सीन याद आ जाएगा। फिल्म में थलापति ने गांधी का किरदार निभाया है, जो स्पेशल एंटी टेररिज्म स्क्वाड का सीक्रेट एजेंट रहता है।
हालांकि वो इस बात को अपनी पत्नी अनुराधा और बेटे जीवन से छुपाता है। जब पत्नी को शक होता है कि गांधी उससे झूठ बोलकर किसी दूसरी महिला के साथ रिश्ते में है, तो प्रेग्नेंट पत्नी को यकीन दिलाने के लिए वो उसे और 5 साल के बेटे को अपने साथ सीक्रेट मिशन पर ले जाता है। यहां बिना सिर पैर वाला पहलू ये है कि जब पता है कि गुंडे पीछे पड़े हैं, तो परिवार को साथ क्यों ही ले जाना।
बेटे की मौत को माना सच
फिल्म में गांधी (थलापति) के बेटे को किडनैप कर लिया जाता है। इसके बाद गांधी अपने बेटे को ढूंढने के लिए सीसीटीवी देखता है। इसके बाद पुलिस उसे एक जली हुई डेड बॉडी दिखाता है, और गांधी मान लेता है कि ये उसका ही बेटा है। साउथ के सुपरस्टार को ऐसे बेबस देखना फैंस के लिए बोरिंग हो सकता है।
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सस्पेंस जबरदस्त लेकिन गांधी फुस्स
GOAT में आगे पता चलता है कि गांधी का असली दुश्मन उसका बेटा जीवन ही है, जिसे गांधी का दुश्मन मोहन (राजीव मेनन) बचपन में किडनैप कर लेता है और उसके मन में पिता के लिए जहर घोलता है। अपने बेटे से लड़ते हुए गांधी को कई जगह पर इतना कमजोर दिखाया गया है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
बॉम्ब की कहानी कहां खत्म
फिल्म के क्लाइमैक्स में जब जीवन पूरे क्रिकेट स्टेडियम को बम से उड़ाने की कोशिश करता है, तो गांधी उसे रोकने के लिए प्लान अच्छा बनाता है। दोनों बाप-बेटे के बीच में जबरदस्त फाइट होती है लेकिन इस फाइट में बम का क्या होता है? रिमोट कहां जाता है? और असली दुश्मन मोहन का क्या होता है? ये सामने आने से पहले ही फिल्म खत्म हो जाती है।
फैंस हो सकते हैं निराश
कुल मिलाकर कहा जाए तो थलापति विजय का नाम ही उनकी फिल्मों को चलाने के लिए काफी है लेकिन GOAT की बात करें तो फिल्म के कई पहलू दर्शकों को निराश कर सकते हैं। थलापति की पिछली फिल्में 'विजय द मास्टर', 'बिगुली', 'मार्सल' और 'बीस्ट' की बात करें तो इसमें निभाए गए उनके किरदार के मुकाबले GOAT में उनका किरदार गांधी काफी कमजोर लगा है। वहीं फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी काफी कमजोर नजर आ रही है।